Wednesday, June 12, 2019

Navagraha पीड़ा परिहार स्तोत्र



नौ ग्रहों पर अनेक स्तोत्र पुराणों में प्रचलित है हर एक ग्रहो से जुड़े विशेष स्तोत्र और प्रार्थनाएं है. उन स्तोत्रों में से यह 1 ऐसा स्तोत्र है जिसके पठन से मनुष्य की पीड़ा, दुःख और ताप कम हो जाता है. यह प्रार्थना 9 ग्रहों पे अंकित है. इस स्तोत्र में कुल 9 श्लोक है. हर एक श्लोक में एक-एक ग्रहों  के स्थान, महत्व, बल, शक्ति, प्रभाव और उनके स्वभाव की स्तुति की गयी है. यह स्तोत्र बहुत ही फलदायी है. 

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नवग्रह/9 Planets 

1. सूर्य
ग्रहाणां आदिरादित्यो लोक रक्षण कारक:!
विषमस्थान संभूतां पीडां हरतु में रवि: !!
2. चंद्र
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:!
विषमस्थान संभूतां पीड़ां हरतु मे विभु:!!
3. मंगळ
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भय कृत्सदा !
वृष्टि कृद्वृष्टि हर्ता पीडां हरतु मे कुज:!!
4. बुध
उत्पात रूपों जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:!
सूर्य प्रियकरो विद्वान पीडां हरतु मे बुध: !!
5. गुरु
देवमंत्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत: !
अनेक शिष्य संपूर्ण: पीडां  हरतु मे गुरु: !!
6. शुक्र
दैत्य मंत्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति: !
प्रभुस्तारा ग्रहाणां पीडां हरतु मे भृगु: !!
7. शनि
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: !
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: !!
8. राहु
महा शिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल: !
अतनश्च ऊर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी !!
9. केतु
अनेक रूप वर्णैश्च शतशोथ सहस्रशः!
   उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम: !!   

 स्तोत्र पठण से लाभ

इस स्तोत्र के पठण से मनुष्य के जन्म कुंडली और गोचार में चल रही ग्रहो की पीड़ा कम होती है. इस स्तोत्र के हर एक श्लोक के अंत में पीडां हरतु में ऐसे प्रार्थना की गयी है अर्थात हमारी पीड़ा को दूर करो. अगर किसी मनुष्य को किसी विशेष ग्रह की दशा चल रही हो, या किसी ग्रह का दोष में कुंडली हो, या कोई ग्रह अरिष्ट स्थान में हो तब अगर वह मनुष्य इस स्तोत्र का या किसी श्लोक का पठन करने से नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और ग्रहो का दोष दूर होता है. इस स्तोत्र का पठन घर में या मंदिर में नवग्रहों की परिक्रमा करते हुए करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है.  अगर कोई मनुष्य हर दिन इस स्तोत्र का पठन करता है तो उस मनुष्य को कभी ग्रहो की बाधा नहीं सताती.

स्तोत्र पठण के नियम

1. सुबह या शाम में स्नान के बाद पठण करना चाहिए
2. विषम संख्या में ग्रहो की परिक्रमा करनी चाहिए
3. नवग्रहों की 9 परिक्रमा करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है.
4. नवग्रहों की या शनि भगवान् की परिक्रमा के बाद पाँव धो लेने चाहिए
5. कम से कम दिन में एक बार तो इस स्तोत्र का पठन करना चाहिए

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