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Saturday, May 25, 2019

6 Greatest kings who ruled the world


पुराण प्रसिद्ध सबसे श्रेष्ठ चक्रवर्ती  

भारत भूमि पर अनेक राजा महाराजाओं ने जन्म लिया है. उन राजाओ में कोई महाराजा बना तो कोई चक्रवर्ती बना.
पुराण के अनुसार कहा जाता है की यह पृथ्वी 6 चक्रवर्ती राजाओ से परिपालित की गयी है चक्रवर्तीओं की गणना सामान्य राजाओ में नहीं की जाती. चक्रवर्ती का मतलब जो पुरे भूमण्डल को अपने अधीन कर चूका हो,जिसकी कीर्ति चारो ओर फैली हुई हो वह King चक्रवर्ती कहलाता है !

Friday, March 15, 2019

Interesting story behind the name of Govinda

तिरुपति बालाजी 

     क्या आप जानते है तिरुपति बालाजी को गोविंदा नाम से क्यों पुकारा जाता है?

तिरुपति के बालाजी के दर्शन को जाते समय हरेक भक्त गोविंदा-गोविंदा कहकर नामोच्चार करता है. Tirupati के बालाजी दक्षिण भारतीय भक्तो के लिए वेंकटेश, श्रीनिवास या वेंकटरमणा कहलाते है.
बालाजी को गोविंदा नाम आने के पीछे एक अद्भुत और आश्चर्यजनक कथा हैश्री विष्णु भगवान के 24 प्रिय नामों में से 4था नाम है गोविंदा.

Monday, February 25, 2019

"Significance of Svaha" हवन कुंड में आहुति देते समय क्यों कहाँ जाता है "स्वाहा"

स्वाहा

स्वाहा यह शब्द हमने बहुत बार सुना है कभी मंदिर में या किसी पंडित जी को पूजा या हवन करते समय या कभी-कबार अपने खुद के  घर में हवन कराते समय या किसी के पूजा में हिस्सा लिए जब. जब अग्नि में आहुति दी जाती है तब स्वाहा कहकर हवन सामग्री या हविर्द्रव्य को अग्नि में समर्पित किया जाता है. स्वाहा ऐसा केवल हवन, यज्ञ, या नित्य अग्निहोत्र करते समय ही उपयोग किया जाता है. इसके अलावा कुछ ऐसे बीज मन्त्र होते है जिनके अंत में स्वाहा शब्द का प्रयोग केवल  जाप करते समय ही किया जाता है.

Sunday, May 29, 2016

The Story Of Vat Savitri

      जानिए स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य देनेवाला वट-सावित्री व्रत के बारे में

सावित्री और सत्यवान की कथा सबसे पहले महाभारत के वनपर्व में मिलती है। जब युधिष्ठिर मार्कण्डेय ऋषि से पूछ्ते हैं कि क्या कभी कोई और स्त्री थी जिसने द्रौपदी जितनी अपने पतिसे  भक्ति प्रदर्शित की?

तब मार्कण्डेय ऋषि कहते है :-
सावित्री प्रसिद्ध तत्त्वज्ञानी राजर्षि अश्वपति की एकमात्र कन्या थी। अपने वर की खोज में जाते समय उसने निर्वासित और वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान् को पतिरूप में स्वीकार कर लिया। जब देवर्षि नारद ने उनसे कहा कि सत्यवान् की आयु केवल एक वर्ष की ही शेष है तो सावित्री ने बडी दृढता के साथ कहा- जो कुछ होना था सो तो हो चुका। माता-पिता ने भी बहुत समझाया, परन्तु सती अपने धर्म से नहीं डिगी!