यह स्तोत्र स्वामी कार्तिकेय भगवान् पर रचाया गया है. कार्तिकेय भगवान् शिव-पार्वती के पुत्र है. यह स्तोत्र का वर्णन रुद्रयामल तंत्र नामक ग्रन्थ में किया गया है. इस स्तोत्र में कार्तिकेय भगवान् जी के 28 नामो का वर्णन किया Gaya है. यह स्तोत्र अति प्रभावशाली है. South India में कार्तिकेय "सुब्रम्हण्य" नाम से प्रसिद्ध है.
!! प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र !!
अस्य श्री प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र मन्त्रस्य सनत्कुमार ऋषि: स्वामी कार्तिकेयो देवता अनुष्टुप छन्द : मम सकल विद्या सिध्यर्थे , प्रज्ञा वृध्यर्थे प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पारायणे विनियोग: !!
योगिश्वरो महासेन: कार्तिकेयोग्नि नंदन: !
स्कन्द: कुमार सेनानी: स्वामी शंकर सम्भव: !!
गाँगेयस्ताम्र चूडश्च ब्रम्हचारी शिखिध्वज:!
तारकारी उमापुत्र क्रौंचारिश्च षडानन: !!
शब्दब्रम्ह समुद्रश्च सिद्ध सारस्वतों गुह:!
सनत्कुमारो भगवान भोगमोक्ष फलप्रद:!!
शरजन्मा गणाधीश पूर्वजो मुक्ति मार्ग कृत!
सर्वागम प्रणेताच वांच्छितार्थ प्रदर्शन : !!
अष्टाविंशति नामानि मदीयानीति य: पठेत!
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पति: भवेत् !!
महामंत्र मयानीति मम नामानु कीर्तनम्!
महाप्रज्ञा मवाप्नोति नात्रकार्या विचारणा !!
!! इति श्री रुद्रयामले प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्रं सम्पूर्णम !!
स्तोत्र पठन के लाभ
नियमित इस स्तोत्र के पठन से Memory Power शक्ति ( पढ़ हुआ याद रखनेकी शक्ति बढ़ती है ) और बुद्धि तेज हो जाती है और ऐसा भी कहा गया है जो गूंगा हो वह बात करने को सक्षम हो जाता है. इतनाही नहीं जिसे बोलने में तकलीफ हो, जो बोलनेमें अडखडाता हो वैसे बच्चों को इस स्तोत्र के पठन से लाभ हुआ है इसमें कोई संशय नहीं है की इससे लाभ नहीं होगा क्यों की यह अनुभव सिद्ध बात रही है.
पठन के नियम
इस स्तोत्र को ब्राम्ही मुहूर्त में पढ़ना चाहिए , Morning: 4:00 Am से सूर्योदय के बीच !
हर दिन तकरीबन 7 बार पढ़ना लाभकर होगा या यथाशक्ति पढ़ सकते है !
अगर ब्राम्ही मुहूर्त में नहीं पढ़ा गया हो तो Early Morning 6:00 से 8:00 am के बीच पढ़ सकते है !
स्नान के पश्चात ही पढ़ना अनिवार्य है !