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Friday, March 29, 2019

Shikha-सिर पर चोटी रखने के फायदे

चोटी

शिखा या चोटी रखना यह प्रथा प्राचीन काल से चलते रही है. शिखा रखने का अधिकार हर एक मनुष्य को है इसमें कोई विशेष समुदाय के वर्ग या जाती का उल्लेख नहीं किया गया है.
शास्त्र के अनुसार शिखा रखने का प्रमाण गाय के पाँव के खुर या सहस्रार चक्र जितना रहना चाहिए. Shikha का अत्यधिक महत्व है हिंदू संप्रदाय में.प्रान्त स्थान-मान के अनुसार शिखा की आकृति अनेक रूपों में देखि गयी है. 
Choti से जुड़े उनके प्रसंग पुराणों में पढ़ने को मिलते है.

Saturday, March 23, 2019

Benefits of wearing Rudraksha in Hindi

१ से १४ मुखी रुद्राक्ष 

रुद्राक्ष बदल सकता है आप का भाग्य !


रुद्राक्ष मूलं तद्ब्रम्हा तन्नालम विष्णुरेव !
तन्मुखं रूद्र इत्याहुः ततबिंदु: सर्व देवता: !!

रुद्राक्ष का मूल भाग ब्रम्हा, नाल (छेद) भाग विष्णु और मुख भाग रूद्र को दर्शाता है. और रुद्राक्ष पे विद्यमान सभी कांटे या बिंदु सभी देवता स्वरुप को दर्शाते है.
वैसे तो 1-21 मुखी तक Rudraksha देखे गए है.परन्तु 15 से 21 मुखी तक रुद्राक्ष के बारे में अधिक जानकारी ना होने से इसके मिलने की गुंजाइश भी नहीं की जा सकती.

Tuesday, March 19, 2019

Benefits of doing achaman (आचमन)


आचमन

आचमन का अर्थ हैपीना” अर्थात एक-एक चमच 3 बार पानी पीना. शायद आप ने देखा होगा किसी पंडित को, धार्मिक कर्म में किसी व्यक्ति को, या किसी ब्राम्हण को संध्या करते समय या किसी को पूजा करते समय 3 बार पानी पीकर 4थि बार हाथ धोया जाता है इसे ही आचमन कहा कहा जाता है. तन-मन और वाणी शुद्धि के लिए 3 चमच पानी पिया जाता है. यह परंपरा अनादि काल से चलते रही है यह ऋषि-मुनियों की देन है. यह प्रथा कुछ ऐसे ही नहीं बनी. इसके पीछे बहुत गहरा अर्थ है और आचमन करना आरोग्य की दृष्टी से यह बहुत लाभदाई है. 

Monday, February 18, 2019

Rudraksha- Benefits of Rudraksha in Hindi, रुद्राक्ष की महिमा

इस Article में आप
रुद्राक्ष की महिमा  
रुद्राक्ष की उत्पत्ति
रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए और Rudraksh के कुछ Interesting facts
इन सभी विषयों की जानकारी आप को यहां पर पढ़ने को मिलेगी.

रुद्राक्ष 

“रूद्र” का मतलब

"रुत संसाराख्यं दुःखं तत द्रावयति इति रुद्रः"
अर्थात:- सांसारिक दुखों को नाश करनेवाला 'जो भगवान सभी भक्तो के दुःख और संसार के समस्याओं को नाश करता है भला उस शिव के नेत्र से उत्पन्न हुआ वह रुद्राक्ष  कितना पवित्र, शक्तिशाली, और  Powerful  होगा इसकी कल्पना करना असाध्य है.

Wednesday, October 19, 2016

11 Auspicious Leaves

  भगवान की पूजा में क्यों इन 11 पत्तोंका उपयोग किया जाता है ?   

       Is there any Scientific, Spiritual or Ayurvedic reason behind this? Part-1

हिन्दू धर्म के हर एक पूजा में विशेषत: गणेश चतुर्थी के  गणेश पूजा में  इन 11 पत्तोंका होता है उपयोग जिससे भगवान् गणेश होते है प्रसन्न। भारतीय संस्कृति में पूजा के दौरान भगवान् पर फूल या पत्ते चढानेकी प्रथा है और वह पूजा का विशेष अंग माना जाता है. बहुमूर्ति पूजा होने से अलग-अलग भगवान् को अलग-अलग किस्म के फूल और पत्ते चढ़ाए जाते है. उनमेसे अधिकतर  इन पत्तोंका उपयोग किया जाता है और तो और इसका उपयोग करनेके पीछे कुछ रहस्य भी छुपे हुए है.

Monday, August 29, 2016

Why Do We Perform Havan ?

                  अग्नि की महत्ता तथा हवन (अग्निहोत्र) से लाभ 

मारे हिन्दू परंपरा में हर एक पूजा में हवन करनेकी प्रथा हजारो सालोंसे चलती रही है , कही पे शांति हवन, तो कही पे शुद्धि हवन और तो कही पे लोक कल्याण यज्ञ या हवन किया जाता है. हवन,  होम, यज्ञ, याग इन अलग-अलग नामोसे अग्नि भगवान् को जाना जाता है. विशेषकर नवरात्र, दीपावली, गृहपूजा और नवोग्रहों की पीड़ा दूर करनेके लिए वैसे उत्तर तथा दक्षिण भारत में  हर एक  पूजा के बाद हवन करते है.

Wednesday, August 17, 2016

Hanuman Ji & Saturday

                         क्यों हम शनिवार को हनुमान जी की पूजा करते है ?


सा देखा गया है की शनिवार आते ही भक्त लोग हनुमान के मंदिर को जाते है तेल , फूल, फल आदि चढ़ाके हनुमान चालीस पढ़ते है ,पूजा करते है और शक्तिनुसार परिक्रमा करते है. आज भी देखा गया है हर एक गाव के सीमापर एक हनुमान का मंदिर होता है कहते है हनुमान जी रक्षा करते है उस गाव की जिस गाव के सीमापार हनुमान जी का मंदिर होता है.

Tuesday, August 09, 2016

Architecture of the Temple

   

            मंदिर की रचना

               देवालय की वास्तु तथा नियम

मंदिर के वास्तु को विभागोंमें बाटा है. उत्तर हिमालय से विंध्य पर्वत तक नागर शैली नाम से , विंध्य पर्वत से कृष्णा नदी तक वेसर शैली नाम से और तीसरी द्राविड़ शैली नाम से जानी जाती है. उत्तर की वास्तु शैली को काश्यप वास्तु और दक्षिण वास्तु शैली को भृगु संहिता वास्तु के नाम से जाने जाते है. इनके तहत जो मध्यम वास्तु है जिसे कृष्णा नदी तक है वह वास्तु नागर और द्राविड़ वास्तु का प्रतिनिधित्व रखता है.

Friday, July 01, 2016

Mangal Sutra, a symbol of good luck

                                                        मंगलसूत्र

                                 क्या शादीशुदा स्त्री मंगलसूत्र पहनना जरूरी है ?


मंगल सूत्र हर एक शादीशुदा गृहीणिका सौभाग्य का प्रतीक होता है. जिस के बिना वह अधूरी है ऐसा कहा जाता है. आज भी हर एक गृहिणी अपने अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजा-पाठ , व्रत जैसे नियमों का पालन करते रही है हमारे पूर्वज, बढे-बुजुर्ग शादी-शुदा गृहिणी  अपने गले से मंगल सूत्र कभी अलग नहीं करती चाहे कुछ भी हो  जाए. मंगलसूत्र, माथे पर सिन्दूर, हाथ में कंगन, और  पाव में बिछुए यह सब सौभाग्य के प्रतीक है!

Monday, June 27, 2016

Betel Nut ( Supari)

 सुपारी का महत्व

हिन्दू पूजा में पान के साथ, बूढ़े-बुजुर्ग पान के साथ खाने में, औषधि के लिए , भगवान के प्रतिरूप में ऐसे अनेक कार्यो में सुपारी का इस्तेमाल होते देखा गया है. क्यों सुपारी का इस्तेमाल हिन्दू पूजा-पाठ में होता है ? तो चलो इसके पिछे का रहस्य और लाभ जान लेते है.

पुराण कथा के अनुसार 

एक बार भगवान गणेश जी वेदव्यास जी को पूछते है " कलियुग में लोगोंको पता नहीं चलेगा महाभारत हुआ भी है या नहीं इसकी कोई निशानी मिलेगी मनुष्य को ? व्यास जी कहते है - धनुर्धर अर्जुन महाभारत के याद के रूप निशानी छोड़ेगा!

Friday, June 17, 2016

Kalash importance in Pooja

     कलश का महत्व

             क्यों कलश की पूजा की जाती है ? क्या कहते है शास्त्र तथा विज्ञान 

कलश जब पूजा-पाठ, या गृहप्रवेश की बात आती है तब हम पहले कलश के बारे में सोचते है या कलश का जिक्र किया जाता है , शादी के रस्म में , मंदिर प्रतिष्ठापना के बारह वर्ष पूर्ण होनेपर जिसे कुम्भाभिषेक कहते है जिसे कलश को पूजा की जाती है उस कलश से मंदिर के कलश या शिखर को अभिषेक किया जाता है. यह पूजा विशेष तरह से होती है. शादी के बाद वधु पहलीबार वर के घर प्रवेश करते समय भी चावल या धान्य के कलश को लांघकर आती है जिसे वधुप्रवेश कहा जाता है.

Tuesday, June 14, 2016

Why do we light a lamp?

                                                 दीपक 

                                भगवान के सामने दीपक क्यों जलाया जाता है ?


जानिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओंको
दीपक  या दिया सनातन वैदिक हिंदू धर्म में अपनी विशेष स्थान  पाया  है. दिया जलाना मतलब मन से, अश्रद्धा को निकालना और ज्ञान रुपी परमेश्वर को जगाना या भगवान को आव्हानीत करना. यह एक  सूर्य की भांति  तेज का प्रतीक (निरपेक्ष आग का सिद्धांत) है. दीपक जिसका अर्थ है "प्रकाशअंधकार की ओर से प्रकाश का मार्ग दिखलानेका एक जरिया
'तमसो मा ज्योतिर्गमय"अज्ञान के अधंकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर लेके जाने की प्रार्थना में यह मंत्र पढ़ा जाता है. एक दीपक काफी है जो एक अंधकार को दूर करनेके  लिए. तो चलो जान लेते है सनातन धर्म में क्या कहा गया है दीपक के बारे में !

Friday, June 10, 2016

The importance of applying Tilak on forehead

                                                     तिलक धारण का महत्व

                                                  जानिए आध्यात्म तथा विज्ञान क्या कहता है !

हिन्दू धर्म में तथा हिन्दु रीती-रिवाज में तिलक धारण की अनिवार्यता बताई गई है. तिलक के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता अगर वह किया जाता है तो उसे शुभ नहीं माना जाता ऐसी अनेक धारणाए है !


                                कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
                                 ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
अर्थात :- चन्दन या माथेपर प्रतिनित्य तिलक धारण करनेसे लक्ष्मी, अच्छी बुद्धि, शांति तथा धैर्य बल की प्राप्ति होती है. जो मनुष्य इसका नित्य उपयोग करता है.

Wednesday, June 08, 2016

Scientific facts hidden behind Hindu wedding ritual

शादी की रस्मों के पीछे छुपे वैज्ञानिक रहस्य

स्त्री हो या पुरुष शादी एक महत्वपूर्ण रस्म मानी गयी ही जो एक बार ही की जाती है. वर-वधु एक दूसरे साथ जीवनभर साथ रहनेकी कस्मे खाते है. शादी एक बहुत जटिल तथा विश्लेषणीय विषय है. हर एक रस्म, रीति-रिवाज अनेक माईने रखते है, हर एक रस्म के पीछे वर-वधु का लाभ और आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है.
भारतीय शादियों में कई रस्में निभाई जाती है. हालाँकि कई लोग ऐसा मानते हैं कि ये रस्में केवल अंधविश्वास हैं परंतु आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इनमें से कई रस्मों के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है.