Friday, June 10, 2016

The importance of applying Tilak on forehead

                                                     तिलक धारण का महत्व

                                                  जानिए आध्यात्म तथा विज्ञान क्या कहता है !

हिन्दू धर्म में तथा हिन्दु रीती-रिवाज में तिलक धारण की अनिवार्यता बताई गई है. तिलक के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता अगर वह किया जाता है तो उसे शुभ नहीं माना जाता ऐसी अनेक धारणाए है !


                                कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
                                 ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
अर्थात :- चन्दन या माथेपर प्रतिनित्य तिलक धारण करनेसे लक्ष्मी, अच्छी बुद्धि, शांति तथा धैर्य बल की प्राप्ति होती है. जो मनुष्य इसका नित्य उपयोग करता है.
आपने देखा होगा जिस के माथेपर तिलक होता है उसकी शोभा और अधिक बढ़ती है, उसका मुख सूर्य कांति जैसा तेजोमय दिखता है. चन्दन शांति तथा शीत स्वभाव का प्रतिक है, सिन्दूर शक्ति, धैर्य और साहस का प्रतिक है. भस्म (राख) वीरता, निरोगता का प्रतिक है.
तिलक लगाने का मन्त्र:-
                            केशवनंत  गोविन्द वाराह पुरुषोत्तम ।
                               पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
अर्थात :- हे केशव, अनन्त , गोविन्द, वराह, तथा पुरुषोत्तम आपसे यह प्रार्थना है की इस चन्दन तिलक के धारण से मुझे पुण्य, यश और आयुष्य की प्राप्ति हो.
Vibhuti
Vibhuti 
आध्यात्मिक महत्व Spirituality
तिलक के रूप में  मुख्य रूप से हमारे सनातन धर्म (हिन्दू धर्ममें एक धार्मिक चिह्न के रूप में मान्यता प्राप्त है आम तौर पर पहनने वाले  में पवित्रता की भावना आए और यह देखकर दूसरों के मन में भी यह भावना जागेसफेद चंदन की लकड़ी तिलक के रूप में  पवित्रता का प्रतीक है. आपने देखा होगा जिस के माथेपर तिलक होता है उसकी शोभा और अधिक बढ़ती है, उसका मुख सूर्य कांति जैसा तेजोमय दिखता है. चन्दन शांति तथा शीत स्वभाव का प्रतिक है, सिन्दूर या कुंकुम शक्ति, धैर्य और साहस का प्रतिक है और जीत के लिए एक वरदान के रूप में कार्य करता  है. भस्म (राख) वीरता, निरोगता का प्रतिक है.
हल्दी भी एक तिलक वाचक  है समृद्धि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है , वैष्णव सम्प्रदाय में यु आकार में  तिलक धारण करते है तथा  शैव पद्धति में त्रिपुण्ड्र (तीन क्षैतिज लाइनोंमें ( विभूति  यज्ञ / हवन की  राख), और  विभिन्न देवी के उपासक एक लाल बिंदी का उपयोग कुंकुम , गोरोचन आदि का उपयोग करते है.

तिलक प्रार्थनाओं का प्रतीक है कि  प्रभु एक ही  है,  भले ही हमारे सम्प्रदाय  क्यों ना अलग हो, उसकी पवित्र भावना को याद रखना चाहिए उसकी सभी गतिविधियाँ व्याप्त है और वह अपने कर्मों में धर्मी हो सकता है और अच्छीतरह से काम करता है,  तिलक बहुत तरह से काम करता है  गलत प्रवृत्तियों और दुष्ट  ताकतों के खिलाफ लड़ने में सुरक्षा करता है. स्त्री का यहाँ कुंकुम सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. इसके अलावा कुंकुम , तिलक आदि का उपयोग सजावट और अधिक सुंदर और आकर्षक दिखनेमे  एक उद्देश्य के रूप में कार्य करता है. तिलक के बिना मनुष्य का चेहरा निस्तेज दीखता है !

वैज्ञानिक महत्व Science
तिलक भौंहों के बीच लगाया जाता  हैजिसे  ब्रम्हनाडी कहते है जो स्मृति और सोच के स्थान को जोड़ता है , योग शब्दों में यह आज्ञा चक्र (भौंह चक्रके रूप में कहा जाता है. हम जानते हैं कि मानव शरीर के  Electromagnetic field तरंगों के रूप में और विशेष रूप से माथे और भौंहों के बीच सूक्ष्म स्थान में ऊर्जा का उत्सर्जन करता है. शरीर में असंतुलन ऊर्जा को अस्थिर करने का कारण बनता हैचिंता और तनाव से सिर दर्द का कारण बनता है. तिलक माथे पे होनेसे हमारी  रक्षा करता है और ऊर्जा की हानि से बचाता है.

कभी कभी पूरे माथे पर चंदन की लकड़ी या पवित्र राख के साथ ढक दिया जाता है, इसके अलावा माथेपर तिलक होने से बड़ी आसानी से सम्मोहित नहीं किया जा सकता.  तिलक के धारण से कुछ प्रमुख लाभ हैवेदों के अनुसार,  मध्यम उंगली का प्रयोग कर धीरे धीरे भुओंके भ्रू मध्य में दबाते हुए तिलक लगाना चाहिएयह विद्युत चुम्बकीय तरंगों के माध्यम से पारित करने के लिए अनुमति देता हैं और तंत्रिका नस  को उत्तेजित करता है!

Nama
Nama

सिरदर्दतनाव और अनिद्रा
आयुर्वेद मेंमानसिक तनावथकानअनिद्रादूर करनेके किए शिरोधरा नामक इलाज का उपयोग किया जाता हैजो माथे पर गर्म तेल की बूंदे लगातार टपकनेके छोड़ी जाती हैसही भौंहों के बीचो बीच  इस इलाज के पीछे मूल सिद्धांत अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकाल फेकनेके और इस प्रणाली को आराम करने के लिए हैइसी तरहयह चंदन में शीतलता प्रदान करके मस्तिष्क को एकाग्रचित्त  बनाता है और यह स्थायी रूप से सिर दर्द से मुक्ति तथा तनाव से तत्काल राहत प्रदान करता है.
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है  तिलक के धारण से जी वी 24.5 के रूप में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता हैAccupressure के अनुसार बिंदु को प्रेरित करता हैनियमित उपयोगसे यह किसी भी संक्रामक रोगों को दूर रखता हैकई नसों और मांसपेशियों को तिलक  धारण से आराम मिलता है. चंदन फेस पैक के रूप में ठंडीगर्मी केमौसम में तथा मुख की कांति बढ़ानेके लिए चन्दन का इस्तेमाल कियाजाता है.