Tuesday, June 14, 2016

Why do we light a lamp?

                                                 दीपक 

                                भगवान के सामने दीपक क्यों जलाया जाता है ?


जानिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओंको
दीपक  या दिया सनातन वैदिक हिंदू धर्म में अपनी विशेष स्थान  पाया  है. दिया जलाना मतलब मन से, अश्रद्धा को निकालना और ज्ञान रुपी परमेश्वर को जगाना या भगवान को आव्हानीत करना. यह एक  सूर्य की भांति  तेज का प्रतीक (निरपेक्ष आग का सिद्धांत) है. दीपक जिसका अर्थ है "प्रकाशअंधकार की ओर से प्रकाश का मार्ग दिखलानेका एक जरिया
'तमसो मा ज्योतिर्गमय"अज्ञान के अधंकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर लेके जाने की प्रार्थना में यह मंत्र पढ़ा जाता है. एक दीपक काफी है जो एक अंधकार को दूर करनेके  लिए. तो चलो जान लेते है सनातन धर्म में क्या कहा गया है दीपक के बारे में !



                                भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं ज्योतिषां प्रभुरव्यय: !
                                  आरोग्यं देहि पुत्रांश्च दीपज्योति : नमोस्तुते !!
अर्थ: ज्योतिषयों तथा सामान्य लोगोंके लिए हे ब्रम्ह स्वरूपी दीपक आप को मेरा सादर प्रणाम. मुझे स्वास्थ्य , पुत्र, तथा समृद्धि देकर कर अनुग्रहित करे।
Panchamukh Dipam


पुराण के अनुसार 

ऋग्वेद के अनुसार, देवी लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता  है  तुलसी पूजा होने से पहले दीपक की पूजा हुआ करती थी, अभी भी यह प्रथा प्रचलित है.  
प्राचीन कहानियों के अनुसार ऋषि दुर्वास के शाप से देवराज इन्द्रने अपना राज्यपद खो चुका था, श्राप विमुक्ति के लिए  भगवान विष्णु की सलाह से लक्ष्मी स्वरूप दीपक की पूजा करके श्राप से विमुक्ति पाई थी तथा अपना शासन फिर से प्राप्त किया था. और कुछ अनुभवी पुराणवेत्ताओंका कहना है की समुद्र मंथन के वक्त रस्सी के रूप में आदिशेष नाग की तथा अँधेरे को दूर करनेके लिए विशाल अग्निस्वरूपी उज्वल दीपक की सहायता ली गयी थी.


आध्यात्मिक महत्व 

इस्कान धार्मिक संप्रदाय में  भव्यता से दीपोत्सव मनाया जाता  है.
यहूदी परंपरा में हानेका नामक दीपक का त्योहार मनाते है, और  बौद्ध धर्म में तजङ्गदैंग नामक  दीपक का त्योहार अद्भुत तरीके से मनाते हैं.
कार्तिक का महीना जिस में दीवाली का त्यौहार आता है , इस महीने में विशेष रूप से भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है जिसे कार्तिक दीपम के नाम से जाना जाता है. हरदिन दिए जलाए जाते है हजारो लाखो की तादात में. और दीवाली का त्यौहार विशेष रूप से दीपक जलाने के लिए अलक्ष्मी को दूर करके लक्ष्मी की कृपा बनाए रखनेके लिए मनाया जाता है. इससे यह स्पष्ट होता है की जहां अंधकार होता है वह लक्ष्मी नहीं रहती. लक्ष्मी का निवास उस घर में या उस स्थान में होता है जहां हरदिन दीपक जलाए जाते हो.

लगभग हर भारतीय घर में सुबह-शाम भगवान या तुलसी के सामने दिया जलाया जाता है. यह परंपरा हजारो सालो से चलती रही है. पुराने ज़माने में घी और तेल से दिये जलाए जाते थे, उस काल में बिजली नहीं रहा करती थी. तेल और घी यह वासना या नकारात्मक बुद्धि को दर्शाते है, बाती अहंकार का प्रतीक है आध्यात्मिकता से जलाया गया ज्ञान का दीपक वासना और अहंकार को नष्ट कर देता है. मनुष्य के अहंकार तथा वासना के विषय में हर एक वस्तु से जोड़ा गया है, इससे यह ज्ञात होता है की मनुष्य की वासना और अहंकार की मात्रा अधिक दिख रही है.
ज्ञान का प्रकाश हमेशा उच्च मार्ग की ओर ले जाता है, जहां-जहां ज्ञान शब्द का उपयोग किया गया है वहां-वहां प्रकाश शब्द का भी उल्लेख देख सकते है. जैसे की ज्ञान का प्रकाश, ज्ञान-ज्योति, ज्ञानमय प्रदीप: इत्यादि....! दीपक को मनुष्य के ज्ञान से जोड़ा गया है जैसे मनुष्य के जीवन में ज्ञान की आवश्यकता है उसी तरह दीपक की भी !


दीपक जलानेसे लाभ  
अग्निपुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल तेल या मख्खन से बने हुए घी का ही इस्तेमाल  दीपक जलाने के लिए , पूजा में और यज्ञ-यागादि के लिए उपयोग करना चाहिए. आध्यात्मिकता और  विज्ञान के अनुसार मक्खन से बने हुए घी का दीपक अधिक सात्विक लहरी को निर्माण करता है. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हम विवरण में समझने की कोशिश करेंगे.
आम तौर पर तेल के उपयोग के घी की तुलना में अधिक प्रचलित है. अब हमें आध्यात्मिक दृष्टि से घी और तेल में अंतर देखते हैं.

* घी का दीपक अधिक क्षमता में आसपास के वातावरण में मौजूद सात्विक कंपन को आकर्षित करने के लिए तेल के दीपक की तुलना में  अधिक है.
* तेल का दीपक 1 मीटर की अधिकतम दूरी तक फैले हुए सात्विक कंपन को आकर्षित कर सकता हैं, घी का दीपक स्वर्ग लोक तक सात्विक स्पन्दनों को बाहर फेकता है ऐसा कहा जाता है.
* तेल और घी का दीपक एक ही साथ मिश्र करके नहीं जलाया जाता, क्यों की इनकी प्रवृत्ति (प्रकृति गुण) विरूद्ध होने से और इसे शास्त्र में भी अशुभ माना गया है.
* तेल का दीपक बुझते-बुझते रज गुणों को वातावरण में फैलाता है और घी की तुलना में जल्दी ही जल जाता है. इसी तरह घी का दिया अधिक समयतक जलते हुए अधिक सात्विक वातावरण को निर्माण करता है.
अगर आप दीपक को गौर करके देखेंगे तो दीपक के अग्नि के चारो ओर पिली, लाल तथा नीले रंग के आकृति दिखती है जिसे चैतन्य कहा जाता है.
दीपक दिल और दिमाग से अंधकार को दूर करने के लिए है. यह अपने आप में चमकता है और अपनी परछाई के कारण आसपास की वस्तुओं को चमकाने के लिए कारण बनता है. आग जो पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, तथा अंतरिक्ष के बीच  शक्ति और गर्मी देता है हमारे जीवन में प्रकाश की आवश्यकता है जो सुबह , दोपहर तथा शाम को जो की सूर्य की प्रकाश से यह कमी दूर हो जाती है जबकि हमें रात में प्रकाश की दीपक जलाने से दूर हो जाती है !
Coconut with oil Dipam

देवता और उनके पसंदीदा तेल के दीपक 
श्री महालक्ष्मी - गाय का घी का दिया
सुब्रमण्य स्वामी  - तिल का तेल
गणेश - नारियल के तेल का दीपक
देवी पराशक्ति - घी, केस्टर तेल, नारियल तेलनीम के पत्ते से निकाला गया तेल
सभी देवताओं के लिए - तिल के तेल का दिया

दीपक लगानेके लिए दिशा
उत्तर - किए गए सभी उपक्रमों में सफलता के लिए, सबसे बेहतर दिशा, ज्ञान का प्रकाश अधिक होने के लिए.
पूर्व - अच्छे स्वास्थ्य और मन की शांति के लिए।
पश्चिम - दुश्मनों से जीत के लिए ऋण से मुक्ति के लिए.
दक्षिण - दक्षिण दिशा में  दीपक रोशनी कभी नहीं, यह अशुभ माना जाता है. मृत्यु के पश्चात दक्षिण दिशा में दीपक लगाया जाता है.!


दीपक के लिए बाती की संख्या 
कपास से बनी हुयी बाती का इस्तेमाल किया जाता है. सामान्यतदीपक में दो बाती डाली जाती है न्यूनतम प्रकाश के लिए और  एक बाती औरत का प्रतिनिधित्व करने के लिए और एक बाती आदमी का प्रतिनिधित्व करने के लिए, और उसमेका तेल या घी परिवार का मिल-जुलके रहनेका प्रतिनिधित्व को दर्शाता है.

बाती का महत्व दीपक जलाने के लिए 
एकल बाती (एक मुख दीपक ) सामान्य लाभ के लिए.
दो बाती :- परिवार और रिश्तेदारों में सद्भाव और शांति लाता है.
तीन बाती का दिया :- संतान के साथ आशीर्वाद देता है.
चार बाती लगानेसे :- सर्वांगीण समृद्धि और शानदार भोजन लाता है.
पांच बाती ( पंचारती ) सुवृष्टि ,अन्न की वृद्धि , ऐश्वर्य का लाभ , धन की प्राप्ति, पंचारती अधिक प्रचलित है.
छह बाती से लगाया गया दिया:-  अखण्ड ज्ञान , तथा वैराग्य की भावना को निर्माण करके भगवान के कृपा पात्र बनाता है.

दीपक लगानेसे लाभ 
दिया विभिन्न घी और तेलों के साथ प्रकाशित किया जा सकता है:
गाय का घी :-  जीवन में चमक और स्वर्गीय आनंद सुनिश्चित करता है.
घी :- धन, स्वास्थ्य और खुशी
तिल का तेल :-  अप्रत्याशित खतरों, अशुभ घटनाओं को निकालता है. अधिकतर शनिवार के दिन भगवान शनिग्रह पर तेल चढ़ाते देखा गया है , शनि ग्रह की साढ़ेसाती से छुटकारा पाने की लिए.
केस्टर तेल :-  कीर्ति , सुखी परिवार, और आध्यात्मिक बुद्धि हासिल करने के लिए.
यह माना जाता है की तिल के तेल के गंध से सांप नजदीक नहीं आते. अगर तिल का दिया जल रहा हो तो.

वैज्ञानिक कारण
दीपक की प्रकाश किरणे चुंबकीय बलों का उत्पादन कर और कमरे-कमरे में हवा के तहत का माहौल बदलने के लिए मदत करता है जो मानव की त्वचा के माध्यम से प्रवेश कर वातावरण को बदलता है, नसों सक्रिय बनाता है. जो अल्ट्रा वायलेट, अल्ट्रा रेड , अल्ट्रा ब्लू के रूप में कई भागों में विभाजित हुआ  प्रकाश, अल्ट्रा साउंड जो शरीर के लिए प्रकाश के किरणों को पैदा करता है. जो एक संरक्षक के रूप में कार्य करके  विद्युत चुम्बकीय बल कि परख  त्वचा पर बैठती है. यह शरीर में प्रवेश कर और रक्त कोशिकाओं को प्रोत्साहित करती है और रोंगो को दूर भगाती है. तेल या घी से जलाया हुआ दीपक की रोशनी से Virus , Bacteria जैसे रोगोंको परोक्ष रूप से  दूर रखता है
तेल के दीपक बाष्प ओजोन का परत है जो पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा परत के रूप में कार्य करता है और मज़बूत बनाता है. तेल के दीपक बाष्प पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र है जो उल्का या ब्रह्मांड से कठोर चट्टानों के हमलों से एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करते देखे गए है इस ढाल के कारण, उल्का जैसे आपदा को गिरते हुए बचाया है या उसका रूख मोड़ा है जिससे कम नुकसान हुआ है या नहीं हुआ
यह माना जाता है कि भारत पर कभी उल्का गिरने की खबर नहीं सुनी. कितने लोग हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने स्थानों और मंदिरों में दैनिक रूप से दीपक जलाते रहे है  पृथ्वी को बचाने में उनका योगदान है!