Monday, April 15, 2019

Mantra for education सरस्वती स्तोत्र


इस स्तोत्र को ऋषि याज्ञवल्क्य जी ने रचाया है. इस स्तोत्र में विद्या, Skills, स्मरण शक्ति, प्रज्ञा शक्ति, बुद्धि और कवित्व प्राप्ति के लिए Education की देवी माँ सरस्वती की स्तुति की गयी है. इस स्तोत्र में कुल 27 श्लोक है.


 याज्ञवल्क्य कृत बुद्धि स्तोत्रम्

याज्ञवल्क्य उवाच
कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवं हततेजसम !
गुरु शापात स्मृति भ्रष्टं विज्ञाहीनं दुःखितं !! 1
ज्ञानं देहि स्मृतिं विद्यां शक्तिं शिष्य प्रबोधिनीम !
ग्रन्थ कर्तृत्व शक्तिं सुशिष्यं सुप्रतिष्ठितम !! 2
प्रतिभां सतसभायां विचार क्षमतां शुभाम !
लुप्तं सर्वं दैवयोगात नविभूतं पुन: कुरु !! 3
यथांकुरं भस्मनि करोति देवता पुन: !
ब्रम्हस्वरूपा परमा ज्योतिरूपा सनातनी !! 4
सर्व विज्ञाधिदेवी या तस्यै वाण्यै नमो नम: !
विसर्ग बिंदु मात्रासु यदधिष्ठान मेव !! 5
तदधिष्ठात्री या देवी तस्यै नित्यै नमो नम : !
व्याख्या स्वरूपा सा देवी व्याख्याधिष्ठातृ रूपिणी !! 6
यया विना प्रसंख्यावान संख्यां कर्तुं शक्यते !
कालसंख्यारुपा या तस्यै देव्यै नमो नम : !! 7

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भ्रम सिद्धान्तरूपा या तस्यै देव्यै नमो नम: !
स्मृतिशक्ति ज्ञानशक्ति बुद्धिशक्ति स्वरूपिणी !! 8
प्रतिभा कल्पनाशक्तिर्या तस्यै नमो नम: !
सनत्कुमारो ब्रम्हाणं ज्ञानं पप्रच्छ यत्र वै !! 9
बभूव मूक वंसोपि सिद्धान्तं कर्तुमक्षम: !
तदा जगाम भगवानात्मा श्रीकृष्ण ईश्वर: !! 10
उवाच सचतां स्तौही वाणी मिष्टाम प्रजापते !
तुष्टा वतां ब्रम्हा चाज्ञया परमात्मन: !! 11
चकार तत्प्रसादेन तदा सिद्धांतमुत्तमम !
यदापि अनन्तं पप्रच्छ ज्ञानमेकं वसुंधरा !! 12
बभूव मूक वत्सोपि सिद्धान्तं कर्तुमक्षम: !
तदा तान्च तुष्टाव संत्रस्त कश्यपाज्ञया !! 13
ततश्चकार सिद्धान्तं निर्मलं भ्रमभंजनम !
व्यास: पुराणसूत्रं पप्रच्छ वाल्मीकिं यदा !! 14
मौनी भूतश्च सस्मार तामेव जगदम्बिकाम !
तदा चकार सिद्धान्तं तद्वरेण मुनीश्वर: !! 15
सम्प्राप्य निर्मलं ज्ञानं भ्रमान्ध ध्वंसदीपकं !
 पुराण सूत्रं श्रुत्वा व्यास: कृष्ण कलोद्भव: !! 16
तां शिवां वेद दध्यौ शतवर्षं पुष्करे !
तदा त्वतो वरं प्राप्य सतकवीन्द्रो बभूव !! 17
तदा वेदविभागं पुराणं चकार : !
यदा महेंद्र: पप्रच्छ तत्वज्ञानं सदाशिवम !! 18
क्षणं तामेव संचिन्त्य तस्मै ज्ञानं ददौ विभु: !
पप्रच्छ शब्दशास्त्रं महेन्द्रश्च बृहस्पतिम !! 19
 दिव्यं वर्षसहस्रं सा त्वां दध्यौ पुष्करे !
तदा त्वत्तो वरं प्राप्य दिव्यं वर्ष सहस्रकम !! 20
उवाच शब्द शास्त्रं तदर्थं सुरेश्वरम !
अध्यापिताश्च ये शिष्या यैरधीतं मुनीश्वरैः !! 21
ते तां परी संचित्य प्रवर्तते सुरेश्वरीम !
त्वं संस्तुता पूजिता मुनीद्रैः मुनिमानवै: !! 22
दैत्यं इन्द्रेश्च सुरैश्चापि ब्रम्हविष्णु शिवादिभिः!
जड़ीभूत: सहस्रास्य: पंचवक्त्र: चतुर्मुख: !! 23
यां स्तौतुं किमहं स्तौमि तामेकास्येन मानव: !
इत्युक्त्वा याज्ञवल्क्यच भक्ति नम्रात्मकंधर !! 24
प्राणनाम निराहारो रुरोद मुहुर्मुहुः !
ज्योतिरूपा महामाया तेन दृष्टापि उवाचतम !! 25
  सुकवीन्द्रो भवेत्युक्त्वा वैकुण्ठं जगाम हे !
याज्ञवल्क्य कृतं वाणी स्तोत्रं येतस्तु : पठेत !! 26
सुकवीन्द्रो महावाग्मी बृहस्पतिसमो भवेत् !
महामूर्खश्च दुर्बुद्धि: वर्षमेकं यदा पठेत !
पण्डितश्च मेधावी सुकवीन्द्रो भवेद ध्रुवम !! 27
!! इति श्री याज्ञवल्क्य विरचितं बुद्धि स्तोत्रं सम्पूर्णम !!

याज्ञवल्क्य Rishi द्वारा रचित इस स्तोत्र का जो कोई भी मनुष्य पाठ करेगा वह देव गुरु बृहस्पति जैसा महान पंडित विद्वान् और एक अच्छा कवी बनेगा. अगर कोई मुर्ख या मंदबुद्धि वाला Manushya हर दिन सुबह स्नान के बाद इस स्तोत्र का पाठ एक वर्ष तक करेगा वह निःसंकोच महान Poet, बुद्धिमान और महा ज्ञानी बनेगा.