चांद्रमान युगादी
हिन्दू
पंचांग के अनुसार चांद्रमान
पद्धति के आधार पर
चैत्र माह में प्रतिपदा
के दिन नए साल
की शुरुवात होती है जिसे
की हम सब युगादी
या नूतन संवत्सर कहते
है. युग + आदि अर्थात युग
की शुरुवात.
Karnataka,
Andhra Pradesh, तेलंगाना में इसे उगादी
कहते है और महाराष्ट्र
में गुड़ी पाडवा.
इन सभी प्रान्त के
लोग बड़े हर्षोल्लास से
नया साल मनाते है !
युगादी का महत्त्व/importance
कहा
जाता है भगवान् ब्रम्हा
जी ने इस दिन
सृष्टि की रचना की
थी इसीलिए इसे युगादी कहा
जाता है. पुराण के
अनुसार भगवान् विष्णु ने इसी दिन
मत्स्यावतार लिया था जैसे
की हम सब जानते
है सृष्टि की शुरुवात पानी
से ही हुई थी.
चैत्र माह में ऋतु
बदलता है वसंत ऋतु
की शुरुवात होती है हर
जगह हरे-भरे पत्ते,
फूल और पेड़ पे
नयी पल्लवी उगने लगती है
हर पेड़ पौधे फल-फूल से लहराते
है सृष्टि की इस अद्भुत
रचना को देखकर मन
उत्साहित होता है.
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Ugadi Pachadi |
हिन्दू
धर्म में सूर्य और
चंद्र के गति के
अनुसार त्यौहार मनाये जाते है. वैदिक Mathematics के ज्ञानी कहे
जानेवाले महान गणितज्ञ भास्कराचार्य
ने सूर्योदय और सूर्यास्त, तिथि,
माह, नक्षत्र, योग और संवत्सर
इन की Calculation कर
पंचांग की रचना की
थी और Panchang के
पहले दिन की शुरुवात
चैत्र प्रतिपदा से होती है Yugadi के दिन पंचांग
पढ़कर पुरे वर्ष का
भविष्य देखा जाता है.
भविष्य में होनेवाले Personal and social बदलावों के बारे में
पढ़ा जाता है. जिसे
पंचांग श्रवण कहते है.और इसी दिन
* महाराज
युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ
था. विक्रमादित्य राजा ने शको
पर विजय हासिल की
थी वह दिन चैत्र
प्रतिपदा का था.
* प्रभु
श्री राम ने इसी
दिन वाली का वध
किया था.
* शक राजा ने हूणों
पर विजय हासिल की
थी वह दिन Chaitra Pratipada का था.
* इसी
दिन से शालिवाहन नामक
शक आरम्भ हुआ इस दिन
शालिवाहन ने शत्रुपर विजय
हासिल की थी.
* चैत्र
प्रतिपदा से ही वसंत
नवरात्रि का आरम्भ होता
है और श्री राम
नवमी के Din समाप्त
होता है.
Ugadi का आचरण
युगादी
के दिन भारत वर्ष
में Karnatak, आंध्र प्रदेश, Maharashtra और Telangana में
लोग इस दिन की
शुरुवात बड़े धूम-धाम
से करते है. इस
दिन की शुरुवात प्रात:
ब्राम्ही मुहूर्त से होती है.
स्नान, जप, पूजा-अर्चा
से दिन की Shuruvat
करते है नए वस्त्र
पहनकर मंदिर को जाकर भगवान्
का दर्शन कर नए साल
में खुशहाली बनी रहने की
कामना करते हुए इस
त्यौहार को मनाया जाता
है.
तेलगू
संप्रदाय के अनुसार इस
दिन उगादी पचड़ी का प्राशन
किया जाता है.
उगादी
पचड़ी /निंबक दळभक्षणं
वसंत
ऋतु के आरम्भ होते
ही पेड़-पौधे खिलते
है. मनुष्य का जीवन अनेक
Taste से भरा है
जैसे की मीठा, कड़वा,
खट्टा, नमकीन और तीखा. Ugadi के
पचड़ी में भी इन
सभी स्वादों का मिश्रण होता
है. 'पचड़ी" का अर्थ होता
है "चटनी" या सभी रसो
का मिश्रण इस पचड़ी को
संस्कृत में निम्बक दळ
भक्षणं कहा जाता है.
अर्थात नीम के पत्ते
या फूल से बना
हुआ तीर्थ या एक प्रकार
की औषधि.
नीम
का फूल (कड़वा)- दुःख
की कड़वाहट दूर करके शरीर
को तंदुरुस्त रखने के लिए
गुड़
और पके केले (मीठा)
- मिठास और Happiness के
लिए
आम
(खट्टा)- सभी फलो का
राजा, New Year में
उत्साह से रहने का
प्रतिक
इमली
(खट्टा)- घृणा और द्वेष
की भावना और मन में
पल रहे Sourness को
दूर करने के लिए
हरी
मिर्च या काली मिर्च
(तीखा)- Anger और jealousy की
भावना को प्रत्याशित करता
है.
इन सभी पदार्थो का
मिश्रण बनाकर उगादी की पचड़ी बनायीं
जाती है और यह
श्लोक पढ़ते हुए इसका
प्राशन किया जाता है.
शतायु
वज्रदेहाय सर्व सम्पत करायच
!
सर्वारिष्ट
विनाशय निम्बकं दळभक्षणं !!
नीम
को आरोग्यदाई कहा जाता है.
उगादी के दिन नीम
के रस का सेवन
करने से सभी तरह
के रोगोंका शमन होकर अच्छे
स्वास्थ्य का लाभ होता
है और इसी के
साथ ऊपर बताये गए
सभी रसो का सेवन
करने से शरीर में
आरोग्य संतुलित रहकर जीवन में
आनंद की प्राप्ति होती
है, और मन सदैव
प्रसन्न रहता है.
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Gudi Padwa |
पंचांग श्रवण
युगादी
के दिन हिन्दू पंचांग
के अनुसार नए साल की
शुरुवात होती है इस
दिन शाम के के
वक्त भगवान् की प्रार्थना कर
पंचांग पठन और श्रवण
किया जाता है. पंचांग
का अर्थ होता 5 अंग जो की तिथि,
नक्षत्र, योग, करण और
वार से बनता है.
हिन्दू
पंचांग के अनुसार 60 अलग-अलग नाम के
संवत्सर होते है जिनकी
पुनरावृत्ति हर 60 साल
को 1 बार होते
रहती है. पंचांग
श्रवण से ब्रह्मदेव के
आयुष्य का प्रमाण और
इस अद्भुत कालगणना के बारे में
जानकारी मिलती है इसके अलावा
इस सृष्टि
के और इस Kaliyug
के कितने साल बीत चुके
है और कितने बाकी
है And हम कौनसे
वर्ष में है यह
सर्व ज्ञान हमें जाननेका अवसर
मिलता है. मनुष्य को
इस कालचक्र के ज्ञान को
जानने की आवश्यकता है.
भगवान् द्वारा रचाई गयी यह
एक अद्भुत सृष्टि है जिसमे हम
अपना जीवन जी रहे
है.
संवत्सर
के नाम तथा राशि
के अनुसार मनुष्य का और राज्य
का फल होता है.
जिसे वर्षफल कहा जाता है.इसी दिन मनुष्य
अपने राशिनुसार फल को जानता
है ताकि Use उसे जीवन
में सुख और दुःख
की परिभाषा का ज्ञान हो
सके.
तिथेश्च
श्रियमाप्नोति वारदायुष्य वर्धनं !
नक्षत्रात
हरते पापं योगाद्रोग निवारणं
!
करणात
कार्य सिद्धींच पंचांग फलमुत्तमं !!
पंचांग
संवत्सर फल श्रवण से
आयु की वृद्धि, Freedom from sin, ऐश्वर्य का लाभ, रोग
से छुटकारा और कार्य में
सिद्धि मिलती है. युगादी के
दिन पंचांग श्रवण का विशेष महत्त्व
बताया गया है.
Gudi Padwa
महाराष्ट्र
के संप्रदाय के अनुसार गुड़ी
पाडवा के दिन नीम
या बम्बू के डंडे के
ऊपर ताम्बे के कलश को
उल्टा करके रखा जाता
है लाल रंग का
रेशम वस्त्र और फूल, आम,
नीम के पत्ते की
माला डालकर उसकी पूजा की
जाती है. गुड़ी को
विजय,ऐश्वर्य और समृद्धि का
प्रतिक माना जाता है.
गुड़ी के ताम्बे के
कलश से सकारात्मक ऊर्जा
प्रवाहित होती है यह
वातावरण में मिलकर वायु
को शुद्ध करती है.
भगवान्
प्रभु श्रीराम ने रावण का
वध कर अयोध्या लौटे
थे और उनका राज्याभिषेक
हुआ था वह दिन Gudi Padwa अर्थात चैत्र प्रतिपदा का दिन था.
ज्योतिष्य
शास्त्र के अनुसार साल
में 3 1/2 ऐसे मुहूर्त होते है इस
दिन किया गया कार्य
सफल होता है. उन्ही
मुहूर्तों में से युगादी
का दिन भी एक
अच्छा और कार्य में
सफलता देनेवाला मुहूर्त माना जाता है.
यह दिन नए व्यापार
का शुभारम्भ करने के लिए
अत्यंत शुभ और लाभदाई
माना जाता है.
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