Friday, March 29, 2019

Shikha-सिर पर चोटी रखने के फायदे

चोटी

शिखा या चोटी रखना यह प्रथा प्राचीन काल से चलते रही है. शिखा रखने का अधिकार हर एक मनुष्य को है इसमें कोई विशेष समुदाय के वर्ग या जाती का उल्लेख नहीं किया गया है.
शास्त्र के अनुसार शिखा रखने का प्रमाण गाय के पाँव के खुर या सहस्रार चक्र जितना रहना चाहिए. Shikha का अत्यधिक महत्व है हिंदू संप्रदाय में.प्रान्त स्थान-मान के अनुसार शिखा की आकृति अनेक रूपों में देखि गयी है. 
Choti से जुड़े उनके प्रसंग पुराणों में पढ़ने को मिलते है.

आप सभी को याद होगा आचार्य चाणक्य ने भी प्रतिज्ञा ली थी जबतक वह मगध के राजा धनानंद के राज्य का और उसके अहंकार को नष्ट नहीं करेगा तबतक वह शिखा नहीं बांधेगा और Chanakya जी ने वैसा ही कर दिखाया.

स्नाने दाने जपे होमे संध्यायां देवतार्चने !
शिखाग्रंथिं विना कर्म कुर्याद वै कदाचन !!
अर्थ:- स्नान, दान, जप, हवन, संध्यावंदन, और भगवान् की पूजा करते समय या इन कर्मो का आचरण करते वक्त शिखा की गांठ बांधनी चाहिए. Without शिखा बंधन के किए गए सभी कर्म निष्फल हो जाते है.
शिखायां वासुदेव: स्तिष्ठतु"
यजुर्वेद के अनुसार शिखा के स्थान में भगवान् वासुदेव बसते है.
 
Choti, Shikha,Hair
Shikhadhari 


हरिवंश पुराण के 1 कहानी के अनुसार हैहय और तालजंघ वंश के राजाओंने शक,यवन, काम्बोज, पारद इन राजाओंके सहाय से बाहु राजा का साम्राज्य छीन लिया गया. बाहु राजा उसके पत्नी के साथ जंगल में चला गया. और कुछ दिन के बाद बाहु Raja की मृत्यु हुयी. और्व नामक ऋषि ने बाहु राजा के गर्भवती पत्नी का रक्षण कर उसे आश्रम में ले आये. उसने एक पुत्र को जन्म दिया और वह आनेवाले समय में सगर नाम से प्रसिद्ध हुआ. Sagar ने और्व ऋषि से शास्त्र और शस्त्र विद्या का अभ्यास किया. 
कालचक्र के अनुसार सगर ने हैहय को मार दिया. और बाकी बचे हुए Shak,यवन, Kamboj और पारद मृत्यु के भय से ऋषि वसिष्ठ जी के शरण में आये. वसिष्ठ ऋषि ने कुछ शर्तो के साथ राजाओंको अभयदान दिया और सगर को आज्ञा दी की इन राजाओं को छोड़ दिया जाय. वसिष्ठ ऋषि के आज्ञा के अनुसार सगर उन राजाओंकी चोटी काटकर उन्हें रिहा कर दिया. अर्थात प्राचीन समय में किसी की चोटी काटना मृत्युदंड समान माना जाता था
 

Through the eyes of science "चोटी रखना" 

Dr. हाय्वमन कहते है भारत के निवासी प्राचीन समय से शिखा रखी है किसका जिक्र वेदो में भी किया गया है और तो और दक्षिण भारतीय लोग पुरे आधे सर तक चोटी रखते है जो की उनकी विलक्षण बुद्धिमत्ता को देखकर मै हैरान हो गया. बौद्धिक capacity को बढ़ाने के लिए चोटी रखना एक अच्छी बात है और मै भी इस बात का समर्थन करता हु

डॉ. I.E. क्लार्क कहते है जब से प्राचीन विज्ञान का शोध हुआ तब से मै मानता हु की हिन्दू धर्म के उन प्राचीन रीती-रिवाजों के पीछे जरूर वैज्ञानिक कारण है. शिखा रखने से  सुषुम्ना नाड़ी अर्थात केंद्रबिंदु की रक्षा होती है. शिखा रखना यह  ऋषि-मुनियों का शोध है यह एक Amazing और विलक्षण खोज है.
विद्वान् अर्ल Thomas कहते है सुषुम्ना के रक्षा के लिए हिन्दू लोग चोटी रखते है  इसके विपरीत अन्य देशो में सरपर टोपी डालकर या लम्बे बाल छोड़कर सुषुम्ना का रक्षण किया जाता है परन्तु चोटी रखना अधिक लाभदायी माना जाता है.

चोटी रखने से Physical benefits

मनुष्य का देह हरेक कष्ट को सहन कर सकता है. बड़े से बड़े दर्द को सहन करने की क्षमता रखता है. परन्तु शरीर में कुछ ऐसे स्थान है जिसको चोट लगने से मनुष्य की मृत्यु हो सकती है. सर के बीचो-बीच अर्थात चोटी रखने के स्थान में सभी नाड़ियों का मिलाप होता है  जिसे सूक्ष्म या मर्म स्थान कहा जाता है.
सुश्रुताचार्य लिखते है:-
मस्तकाभ्यन्तरो पारिष्टात शिरा संधि सन्निपातो !
रोमावर्तो अधिपतिस्तात्रापि सद्यो मरणम !!
अर्थात सरपर जिस स्थान पर बालोंका गुच्छ होता है उसके निचे का हिस्सा नाड़ी और जोड़ों से जुड़ा होता है उसे अधिपति मर्म कहा गया है. जिसे चोट या मार लगने से तत्काल मृत्यु होती है.  
कान, नाक, आँख, जीभ और त्वचा इन पांच इन्द्रियों का सम्बन्ध सीधा मस्तिष्क से होता है. हाथ, पैर, गुदद्वार और गुप्तेंद्रिय इन कर्मेन्द्रियो का सम्बन्ध मस्तुलिंग से होता है. मनुष्य का मस्तिष्क और मस्तुलिंग जितना Strong होता है उतनेही समान रूप से इन्द्रियोंकी शक्ति बढती है. मस्तिष्क को ठंडा करने के किए मुंडन करना और मस्तिष्क का तापमान गरम रखने के लिए सिर के मध्य भाग पर लम्बे बाल या चोटी रखना लाभदाई होता है.

चोटी रखने के फायदे

1. लौकिक और व्यावहारिक कार्य में यश मिलता है.
2. मनुष्य Religious, सात्विक और संयमी बनता है.
3. सुषुम्ना का रक्षण होता है और मनुष्य रोगमुक्त होकर Strong, तेजस्वी और दीर्घायुषी बनता है.
4. Shikha rakhane se आत्मशक्ति बढती है.
5. शिखा रखने से मनुष्य के विचार सात्विक बनते है और Buddhi की गहनता बढ़ती है
7. शिखा रखने से आध्यात्मिक Unnati होती है

7. चोटी रखने से ब्रम्हग्रंथि मजबूत बनकर कुण्डलिनी Shakti जागृत होने में सहायता मिलती है.