सप्त पुरी (भाग 1)
मनुष्य को मुक्ति देनेवाले 7 पुण्य क्षेत्र
भारत
देश में अनेक पुण्य
क्षेत्र है जिसका वर्णन
पुराणोमे और वेदो में
देखने को मिलता है.
हर एक Kshetra की
महिमा अलग-अलग होती
है. हर एक क्षेत्र
के पीछे उस क्षेत्र
का माहात्म्य होता है. तीर्थक्षेत्र
दर्शन या तीर्थयात्रा करने
से मनुष्य को Vishesh पुण्य मिलता
है. विशेषकर पुराणोमे तीर्थ क्षेत्रों का माहात्म्य लिखा
गया है. परन्तु इन
सभी क्षेत्रो में 7 ऐसे
स्थान है जिसे मोक्षपुरी
कहा जाता है. विशेषकर
इन स्थानपर अनेक ऋषि-मुनि,
देवी-देवता और महान राजाओंने तपस्या,यज्ञ-यागादि कर्म
कर इन स्थानों को
पुण्यवान और पवित्र बनाया
है इसीलिए इसे पुण्यक्षेत्र कहा
जाता है.
जानिए कौनसे है वे क्षेत्र
अयोध्या
मथुरा माया काशी कांची
अवंतिका !
पुरी
द्वारावती चैव सप्तैता: मोक्षदायका:
!!
कहा
जाता है इन 7
पुण्यक्षेत्रो में किया गया
कर्म अधिक पुण्य देनेवाला,
पूर्ण फल Denewala और
मोक्ष की प्राप्ति देनेवाला
होता है. श्रद्धालु अपने
जीवन काल में एक
बार तो इन स्थानों
का दर्शन करने की चाह
रखता है.
1 1. अयोध्या Ayodhya
भारत देश के आराध्य
भगवान् प्रभु श्री राम का
जन्मस्थान है अयोध्या. सत्य,
धर्म, निष्ठा और सदाचार से
युक्त सामान्य जीवन मनुष्य जी
सकता है यह सीख
प्रभु श्री राम जी
ने मानव देह धारण
करके हम सब को
सिखाई है. धार्मिक आचरण
से राज्य को स्थापित कर
सुख-शांति से प्रजापालन कर
मनुष्य को उत्तम मार्ग
दिखाकर सभी मर्यादा ओंका
पालन कर मर्यादा पुरुषोत्तम
प्रभु श्री रामचंद्र की
जन्मभूमि है यह अयोध्या.
स्कन्द पुराण में अयोध्या का
वर्णन किया गया है.
ऋषि-मुनि श्री राम
जन्मभूमि की प्रशंसा करते
हुए कहते है हरदिन
हजारो गाय दान करने
से मनुष्य को जो पुण्य
फल मिलता है, वही पुण्य
प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि का
दर्शन मात्र से ही मिलता
है.
माता
पित्रोर्गुरुणाम च भक्ति मुद्वहतां
सताम !
तत्फलं
समवाप्नोति जन्म भूमि प्रदर्शनात
!!
माता
पिता और गुरुजनो के
प्रति सदा भक्ति रखता
हो, महात्मा, साधु-संतो का
दर्शन करने से जो
पुण्य की प्राप्ति होती
है वह पुण्य प्रभु Shri Ram जन्म भूमि
के दर्शन मात्र से प्राप्त होती
है.
पुराण
के अनुसार चक्रवर्ती मनु राजा ने
अयोध्या की स्थापना की
थी. इस स्थानपर हजारो
अश्वमेध, राजसूय ऐसे अनेक यज्ञ-यागादि कर्म कर इस
स्थान को अति पवित्र
बनाया है.
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पुण्यक्षेत्र |
2 2. मथुरा Mathura
भगवान् श्री कृष्ण की
जन्मभूमि.त्रेता
युग में इसे मधुबन
कहा जाता था.भगवान
महाविष्णु ने माँ देवकी
के गर्भ से जन्म
लिया और श्री कृष्ण
बन गए. दुष्ट राक्षसोंका
और अपने मामा कंस
का संहार कर मथुरा का
रक्षण किया.हम
सभी भक्त लोग Shri Krishna की लीला से
परिचित है. महाभारत के
समय श्री कृष्ण द्वारा
अर्जुन को दिया गया
गीता ज्ञान आज भगवत गीता
नामक ग्रन्थ पुरे विश्व में
प्रसिद्ध है. जो की
हिंदुओंका पवित्र ग्रन्थ है.पुराण
के अनुसार सबसे पहले भगवान्
श्री कृष्ण का मंदिर श्री
कृष्ण के परपोते वज्रनाभ
ने बनवाया था.
3. माया Haridwar
प्रस्तुत: यह क्षेत्र हरिद्वार
या गंगाद्वार नाम से जाना
जाता है.
प्राचीन
समय में यह क्षेत्र
Mayapuri नाम से प्रख्यात
था. बदरी और केदार
क्षेत्र के लिए यह
महाद्वार होने से इसे
गंगाद्वार या हरिद्वार कहते
है. हरिद्वार में हर 12 साल को जब गुरु
बृहस्पति का प्रवेश कुम्भ
राशि में होता है
तब यंहापर कुम्भमेला होता है जिसे
देखने और दर्शन के
लिए लाखों की तादात में
भक्त लोग, नागसाधु, और
पाश्चिमात्य लोग आते है.
ऋषि कपिल, भारद्वाज, प्रतीपराज और भगवान् दत्तात्रेय
ऐसे अनेक दिव्य विभूतियोने
इस जगह पर तपस्या
की है.
हरिक्षेत्रे
हरिदृष्ट्वा स्नात्वा पदोदके जन: !
सर्व
पाप विनिर्मुक्तो हरिणा सह मोदते !!
अर्थ:-
हरिद्वार में हरी का
दर्शन कर, हरी चरणामृत
समान गंगा में जो
कोई भी स्नान करता
है वह सब पापोंसे
छूटकर मोक्ष को प्राप्त होता
है उसे विष्णु सान्निध्य
मिलता है.
4 4. काशी Banaras
कैलासपति भगवान् शंकर का स्थान
जो की विश्वनाथ नाम
से Kashi में विराजमान
है.
आज
बनारस नाम से प्रसिद्ध
इस क्षेत्र को अविमुक्त या
काशी कहा जाता था.
आज भी लोग काशी
ही कहते है. मत्स्य
पुराण के अनुसार
अविमुक्तं
परं क्षेत्रं अविमुक्तं परा गति: !
अविमुक्ते परा सिद्धि: अविमुक्ते परं पदम् !!
अविमुक्ते परा सिद्धि: अविमुक्ते परं पदम् !!
अविमुक्ति
नामक क्षेत्र सबसे उत्तम परम
गति (मोक्ष) को देनेवाला, परम
सिद्धि देनेवाला और साक्षात् शिव
का सायुज्य अर्थात परम पद को
देनेवाला है. काशी क्षेत्र
के बारे में अनेक
पुराण, उपनिषत, और शुक्ल यजुर्वेद
में उल्लेख किया गया है.
स्वयं महादेव पार्वती से कहते काशी
क्षेत्र अधिक Punya प्रतिष्ठित
है क्यूंकि इस स्थान पर
त्रिपथ गामिनी गंगा जो बहती
है. हे प्रिये ! काशी
मुझे सबसे प्रिय क्षेत्र
है.
काश
अर्थात धातु को प्रकाश
देनेवाला साक्षात् परमेश्वर इस क्षेत्र को
प्रकाशमान करने से इसे
Kashi कहा गया है. "वारणा और असि" उपनदी
के बिच यह क्षेत्र
होने से इसे वाराणसी
भी कहा जाता है.
अनादि
काल से चलते आ
रही काशी विश्वनाथ की
पूजा गंगा की आरती
आज भी उतनीही प्रसिद्ध
और महत्वपूर्ण है. धर्म में
रूचि रखनेवाला हर एक मनुष्य
अपने जीवन काल में
एक बार तो काशी का
दर्शन कर गंगा में
नहाने की कामना करता
है. काशी की महत्ता
जीतनी भी की जाय
उतनी कम है.
क्रमशः......... !
क्रमशः......... !
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