भगवान की पूजा में क्यों इन 11 पत्तोंका उपयोग किया जाता है ?
Is there any Scientific, Spiritual or Ayurvedic reason behind this? Part-1
हिन्दू
धर्म के हर
एक पूजा में
विशेषत: गणेश चतुर्थी
के गणेश
पूजा में इन 11 पत्तोंका होता है
उपयोग जिससे भगवान्
गणेश होते है
प्रसन्न। भारतीय संस्कृति में
पूजा के दौरान
भगवान् पर फूल
या पत्ते चढानेकी
प्रथा है और
वह पूजा का
विशेष अंग माना
जाता है. बहुमूर्ति
पूजा होने से
अलग-अलग भगवान्
को अलग-अलग
किस्म के फूल
और पत्ते चढ़ाए
जाते है. उनमेसे
अधिकतर इन
पत्तोंका उपयोग किया जाता
है और तो
और इसका उपयोग
करनेके पीछे कुछ
रहस्य भी छुपे
हुए है.
इनमे औषधि गुण होनेसे इसका उपयोग पूजा के तहत किया जाता है. इन पत्तोंको छुनेसे, इसका रस पीनेसे, या इन पत्तो की सुगंध लेने से भी अनेक तरह के रोग बीमारिया दूर भाग जाती है. जैसे की बुखार,जुखाम, Stomachache, headache, पेट में जलन, बिच्छु का काटना, विषबाधा इत्यादि बीमारियों के लिए यह औषधियां रामबाण की तरह काम करती है जिसे हम घर बैठे ही इसका उपयोग कर सकते है !
इनमे औषधि गुण होनेसे इसका उपयोग पूजा के तहत किया जाता है. इन पत्तोंको छुनेसे, इसका रस पीनेसे, या इन पत्तो की सुगंध लेने से भी अनेक तरह के रोग बीमारिया दूर भाग जाती है. जैसे की बुखार,जुखाम, Stomachache, headache, पेट में जलन, बिच्छु का काटना, विषबाधा इत्यादि बीमारियों के लिए यह औषधियां रामबाण की तरह काम करती है जिसे हम घर बैठे ही इसका उपयोग कर सकते है !
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Jackfruit Leaves |
१. पीपल- इसे
बोधि वृक्ष भी
कहा जाता है.
कहा जाता है
की भगवान् गौतम
बुद्ध को इसी
वृक्ष के निचे
ज्ञानोदय हुआ था.
हवा शुद्धि के
लिए केवक यह
एक ही वृक्ष
एयरकूलर से पाँच
गुना अधिक काम करता
है. इनके पत्तोंमें
औषधि गुण होने
से आदि काल
में आदिमानव इसी
के पत्तोंमें बच्चोंके
खाना खिलाया जाता
था. पीपल पेड़
के या पत्ते
की राख शक्कर
में मिलाकर खानेसे
अछि नींद आती
है !
२. केवड़ा- यह अधिकतर समुद्र तट पाया जाता है केवड़े के पत्ते बहुत सुगंधि होते है यह सुगंध साँपो को न्यौता देती है अर्थात इस पेड़ पर साँपोँका बसेरा होता है. यह पत्ता भगवान् शिव को नहीं चढ़ाया जाता. इस के उपयोग से Thyroid से जुड़े रोगोपर उपचार किया जाता है !
२. केवड़ा- यह अधिकतर समुद्र तट पाया जाता है केवड़े के पत्ते बहुत सुगंधि होते है यह सुगंध साँपो को न्यौता देती है अर्थात इस पेड़ पर साँपोँका बसेरा होता है. यह पत्ता भगवान् शिव को नहीं चढ़ाया जाता. इस के उपयोग से Thyroid से जुड़े रोगोपर उपचार किया जाता है !
३. अगस्तिया- इस
के फूल के
भज्जी, गुलकंद इत्यादि में
उपयोग किया जाता
है. इस के
फूल में अनेक
तरह के जीवन
सत्व का खज़ाना
है, इसमे Vitamin A
होता है
!
४. बेर- बेर
के बीज का
चूर्ण चेहरे पर
लगानेसे मुहांसे से छुटकारा
मिलता है. बुखार
या गरम शरीर
को ठंडा रखनेके
लिए उपयोग किया
जाता है. यह
फल बहुत स्वादिष्ठ
होता है अधिकतर
October to January के बीच देखनेको
मिलता है !
५. मधुमालती- मधुमालती की लता या इसका फूल शहर में गावोमे , पुराने घरो के सामने अधिक देखा गया है, इसका सुगंध रात के समय अधिक फैलता है. सफेद, गुलाबी, और पीले रंग के फूल होते है. इसका उपयोग फेफड़े से जुड़े रोग, त्वचारोग, Arthritis, पेट से सम्बंधित कृमि नाश इत्यादि में इसका उपयोग किया जाता है !
५. मधुमालती- मधुमालती की लता या इसका फूल शहर में गावोमे , पुराने घरो के सामने अधिक देखा गया है, इसका सुगंध रात के समय अधिक फैलता है. सफेद, गुलाबी, और पीले रंग के फूल होते है. इसका उपयोग फेफड़े से जुड़े रोग, त्वचारोग, Arthritis, पेट से सम्बंधित कृमि नाश इत्यादि में इसका उपयोग किया जाता है !
६. भृंगराज ( भांगरा)- वर्षा ऋतु में
दिखाई देनेवाली यह
वनस्पति पहाड़ पर
मिलती है. गुर्दे
की बीमारी, पीतज्वर,
बिछु का दंश
इत्यादि में उपयोग
होता है, और
तो और बालो
को घना और
काला करनेके लिए
तेल जैसा उपयोग
होता है
७. बेल - भगवान् शिव का अत्यंत प्रिय पत्ता है इसके सिवा शिव की पूजा अधूरी है पुराणोमे बेल के पत्ते का उल्लेख किया गया है और उसका महत्व भी बताया गया है. दस्त, पेट का दर्द, शरीर की गर्मी और ऐसे अनेक रोगोपर इसका उपयोग उपचार के तहत किया जाता है !
७. बेल - भगवान् शिव का अत्यंत प्रिय पत्ता है इसके सिवा शिव की पूजा अधूरी है पुराणोमे बेल के पत्ते का उल्लेख किया गया है और उसका महत्व भी बताया गया है. दस्त, पेट का दर्द, शरीर की गर्मी और ऐसे अनेक रोगोपर इसका उपयोग उपचार के तहत किया जाता है !
८. धत्तूरा- धत्तूरे
के सफेद,काला
और राज धत्तूरा
(नीले-सफेद) ऐसे
तीन तरह के
प्रजातियां है. इस
वनस्पति से अफ्रोपिन
नामक औषधि बनाई
जाती है. इस
के पेड़ को
जहरीला भी माना
जाता है. अधिकतर
रोड के किनारे
या किसी नदी
, तालाब के किनारे
पाए जाते है.
इसके फूल का
उपयोग कफ, अस्थमा,
Arthritis आदि रोगोपर
लाभकारी है !
९. तुलसी- हर
एक हिन्दू के
घर में यह
होती है. तुलसी
अत्यंत पवित्र मानी जाती
है भगवान् विष्णु
को यह अत्यंत
प्रिय है. इसमे
दो तरह के
तुलसी के पौधे
होते जिसे राम
और कृष्ण तुलसी
कहा जाता है
राम हरे पत्तेवाली
कृष्ण काले-हरे
पत्तेवाली होती है.
हर एक हिन्दू
घर में सुहागन
इसकी पूजा करती
है और इसे
पानी डाला जाता
है. यह पौधा
२४ घंटोतक
ऑक्सीजन देते रहता
है. कफ,अस्थमा,जुखाम,बुद्धि बढानेके
लिए, Cancer ऐसे
अनेक रोगपर रामबाण
इलाज है आयुर्वेद
जगत में यह
प्रसिद्ध औषधि है
!
१०. दूर्वा ( हरियाली)- यह एक
प्रकार घास है
इसमे सफेद और
नीले रंग के
दो प्रजातियां है.
सफेद कहा जाता
है परंतु यह
हरे रंग की
घास होती है
यह भगवान् गणेश
को अत्यंत प्रिय
है. नाक में
से खून आना,
बुखार, शरीर में
की गर्मी काम
करनेके लिए इसका
रस अमृत समान
माना जाता है.
यह हर जगह
मिलता है. अधिकतर
वर्षा ऋतु में
हराभरा देख सकते
है !
११. शमी- शमी वृक्ष का महत्त्व पुराणोमे विशेषकर महाभारत में इसका उल्लेख आता है. विजय दशमी दशहरा के दिन शमी के पेड़ की पूजा की जाती है. यह पेड़ सूखे हवामान में उगता है. त्वचारोग, अस्थमा, गुर्दे के रोग इत्यादि भयंकर रोग नाशक के लिए इसका उपयोग किया जाता है !
११. शमी- शमी वृक्ष का महत्त्व पुराणोमे विशेषकर महाभारत में इसका उल्लेख आता है. विजय दशमी दशहरा के दिन शमी के पेड़ की पूजा की जाती है. यह पेड़ सूखे हवामान में उगता है. त्वचारोग, अस्थमा, गुर्दे के रोग इत्यादि भयंकर रोग नाशक के लिए इसका उपयोग किया जाता है !