Wednesday, August 17, 2016

Hanuman Ji & Saturday

                         क्यों हम शनिवार को हनुमान जी की पूजा करते है ?


सा देखा गया है की शनिवार आते ही भक्त लोग हनुमान के मंदिर को जाते है तेल , फूल, फल आदि चढ़ाके हनुमान चालीस पढ़ते है ,पूजा करते है और शक्तिनुसार परिक्रमा करते है. आज भी देखा गया है हर एक गाव के सीमापर एक हनुमान का मंदिर होता है कहते है हनुमान जी रक्षा करते है उस गाव की जिस गाव के सीमापार हनुमान जी का मंदिर होता है.


                                         बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं  निर्भयत्वं अरोगता !                                            

  अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत स्मरणात् भवेत् !!

अर्थात;- जो कोई भी मनुष्य हनुमान जी का स्मरण करता है या उनका पूजन करता है उसे  हनुमान जी के कृपा से बुद्धि, बल, यश, आरोग्य, भय से मुक्ति, अच्छा-कट्टा शरीर और वाक्शक्ति प्राप्त होती है.
क्या है राज शनिवार को हमुनान जी के मंदिर को जानेका?
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Hanumaan 


पुराण के अनुसार दो कथाएँ प्रचलित है 
शनि ग्रह से वर प्राप्त हुआ था हनुमान जी को
त्रेतायुग में दैत्यासुर रावण ब्रम्हा तथा शिवजी से तीनो लोकपर विजय प्राप्ति का वर प्राप्त किया था. इसके साथ ही नवग्रहों पर विजयश्री प्राप्तकर उन्हें बंदी बना लिया था और अपने राज्य में अपने सिंहासन तक जानेके लिए उनका सीडीओ की तरह उपयोग  करता था. इसी समय रावण की पत्नी मण्डोदरी को मेघनाद नामक बच्चा जन्म लेनेका समय था उस समय महा ज्योतिषी रावण अपने जन्मलेने वाले बच्चे के जन्म कुंडली में  सभी नवग्रहों को ११वे स्थान में स्थित होनेके आदेश दिया इस आशाभाव से की मेघनाद अमर हो जायेगा.

परंतु देवो में इस बात की चर्चा हुयी उनको भय लगनेलगा, इस बात को ध्यान में रखते हुए शनि जी ने ११ स्थान में रहने की बजाय वह निच स्थान में बैठ गए  वह १२वा स्थान था जिसे व्ययस्थान या मृत्यु स्थान भी कहते है. रावण को देर नहीं लगी इस बात को समझनेमें, शनि के इस पलट के वजह से मेघनाद के मृत्यु को कारण बन सकता है यह बात को लेकर क्रोधित हुआ रावण शनि को अँधेरी कोठड़ी में डालता है. इस तरह शनि को कोई भी देख नहीं सकता ऐसा रावण का मानना था.

 परंतु सीता की खोज में निकले हनुमान जी उस अँधेरी कोठडीमे झांक के देखते है तब उनकी नजर शनिपर पड़ती है, शनि की नजर गिर गयी यह बात हनुमान जी को भी सताती है. सीता माता की खोज करते समय हनुमान जी ने शनि के अलावा बाकी ग्रहोंको रावण के बंधन से मुक्त कर चुके थे. शनि भी बंधन मुक्ति के लिए पूछते है तब हनुमान जी कहते है अगर मैं आप को छुड़वाउंगा तो आप मुझपर हावी हो जाएंगे इस बातपर शनि अभयहस्त देकर कहते है अगर आप मुझे इस  बंधन से मुक्त करेंगे तो मैं की मदत करूंगा परंतु मेरी दृष्टी आप पे पड़जानेसे आप को उसका सामना करना पड़ेगा, उसका फल ऐसा होगा की आप अपने कुटुंब तथा पत्नी-बच्चोंसे बिछड़ जाओगे !

हनुमान जी शनि को बंधन मुक्त करनेके लिए राजि हो जाते है  यह कहते हुए मैं ब्रह्मचारी होने से तथा मुझे परिवार या बच्चो से बिछड़नेका दुःख नहीं और वह कहते है मुझे भगवान् श्री राम नाम के अलावा और कोई संपत्ति नहीं ऐसे कहते हुए शनि जी को मुक्त करते है. हनुमान जी के इस सहाय से कृतज्ञ हुए शनि वर देते है की जो कोई भी मनुष्य शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करता है, या उनकी प्रार्थना करता है उनकी शनिपीड़ा कम होती है. और एक कही-सुनी के अनुसार हनुमान जी ठीक तरह से लंका दहन नहीं कर पाए, उस समय शनि जी उनकी मदत के लिए आये, और लंका पर अपनी दृष्टी गिराके लंका को पूर्णरूप से भस्म किया ऐसा भी कहा जाता है।


दूसरी कहानी                                                                                                                                        रामायण का युद्ध होने के उपरांत हनुमान जी दीर्घ काल के लिए श्री राम का ध्यान करनेके लिए एक गुफा में जाते है. ध्यान में मग्न हुए हनुमान जी को देखकर शनि मन ही मन में कहते है यही समय है मुझे हनुमान को शनि पीड़ा क्या होती है दिखानेका ऐसा सोचते हुए हनुमान जी के कंधेपर चढ़ जाते है. अर्थात शनि हनुमान जी के पीछे लगते है. श्री राम जी का ध्यान भंग होने से क्रोधित हुए  हनुमान जी शनि को कहते हैहे शनिदेव" आप के पिता सूर्य भगवान् जी से मुझे अनेक वर प्राप्त हुए है और वह मेरे गुरु भी है और आप गुरु के पुत्र होने से मेरा क्रोधित होना उचित नहीं इसलिए आप मेरे कंधेसे उतर जाए. परंतु शनि इस बात को नजरअंदाज करते हुए कहते यह मेरा काम जो मैं कर रहा हु और यह मेरा नियम है.

 इस बात को लेकर उन दोनो मे काफी हदतक बहस होती है तब हनुमान जी उग्र-विराट रूप धारणकर शनि को अपनी बाहोंमे जकड लेते है , इस कष्ट को शनि सहन नहीं कर सके और वो हनुमान जी से क्षमा माँगते है. हनुमान जी शनि से इस बात का प्रतिवचन लेते है की जो कोई राम नाम का जाप करेगा उनको शनि की पीड़ा और शनि साढेसाती के दौरान कष्ट नहीं पहुंचेगा ऐसा वचन शनि से स्वीकारते हुए शनि को अपनी बाहु-बंध से मुक्त कर देते है. वैसे तो हम हनुमान के बिना श्री राम जी का स्मरण नहीं करते. कहते है की हनुमान जी का जन्म भी शनिवार के दिन हुआ था !