आचमन
आचमन
का अर्थ है “पीना”
अर्थात एक-एक चमच 3 बार पानी पीना.
शायद आप ने देखा
होगा किसी पंडित को,
धार्मिक कर्म में किसी
व्यक्ति को, या किसी
ब्राम्हण को संध्या करते
समय या किसी को
पूजा करते समय 3 बार पानी पीकर 4थि बार हाथ धोया जाता है इसे ही आचमन
कहा कहा जाता है.
तन-मन और वाणी
शुद्धि के लिए 3 चमच पानी पिया जाता
है. यह परंपरा अनादि
काल से चलते आ
रही है यह ऋषि-मुनियों की देन है.
यह प्रथा कुछ ऐसे ही
नहीं बनी. इसके पीछे
बहुत गहरा अर्थ है
और आचमन करना आरोग्य की दृष्टी से
यह बहुत लाभदाई है.
अपने -अपने धर्म और संप्रदाय के अनुसार हरेक मनुष्य की अपनी नित्य प्रार्थना व नित्यकर्म होता है.
ब्राम्हण के नित्यकर्म अनुसार सूर्योदय, माध्यान्ह और सायंकाल ऐसे 3 समय में भगवान् सूर्य की आराधना होती है जिसे संध्यावंदन
कहा जाता है. इस समय
गायत्री जाप भी किया
जाता है जिसमे आरम्भ
से अंत तक बहुत
बार आचमन किया जाता
है अर्थात चमच से पानी पिने की एक प्रक्रिया होती है. यह एक संध्या
का अंग है. संध्या
या पूजा करते समय
भगवान् का नाम लेकर
जैसे ॐ केशवाय नम:, नारायणाय नम:, माधवाय नम: ऐसे एक-एक नाम के
अंत में पानी पिया
जाता है.
तीन
बार आचमन करना पुराण,
शास्त्र और धर्म ग्रंथो
में कहा गया है
जो की मनुष्य को
तीन पापोंसे मुक्ति दिलाता है 1.शरीर
से किया गया पाप 2.मन या बुद्धि
से किया गया पाप और 3.वाणी द्वारा किया
गया पाप.
पुराने
जमाने में शौच के
बाद, खाना खाने के
बाद, सुबह उठने के
बाद, शाम के समय
ऐसे अनेक कर्म के
बाद आचमन करने की
रूढ़ि थी. आचमन के
विधि को बहुत बारीकी
से देखा गया है
और उसका पालन भी
किया गया है. ऐसा
कहा जाता है की
शरीर स्वास्थ्य रखने के लिए
आचमन करना एक Best
उपाय है.
आचमन क्यों किया जाता है
गुरु
चरित्र के 36 वे
अध्याय में उल्लेख आता
है की ब्राम्हण के
नित्य कर्म में Morning
से लेकर Evening तक
25 से 30 बार
आचमन किया जाता है.
यह साँस लेना और
साँस छोड़ना और मंत्रों के
सही उच्चारण में मदद करता
है. भगवान नाम लेकर पानी
पीने से विचार और
बुद्धि सकारात्मक बन जाती है.
इन नाम मन्त्र में Positive Energy होती है जो
पानी द्वारा हमारे मस्तिष्क में और शरीर
के खून में मिश्रित
होती है
Doctors
का कहना है आप
कितना भी पानी पीओ
परन्तु उसमे का थोड़ा
सा ही पानी शरीर
के रक्त में घुलता
है. धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा पिया गया
पानी ही शरीर के
नसों द्वारा रक्त में घुलता
है जिससे खून का घनत्व सही
मात्रा
में रहकर Acidity, B P जैसे रोगो
से दूर रखता है.
Saline तो आचमन का
ही स्वरुप है. हर दिन
आचमन करने से शरीर
हल्का होने लगता है, Acidity की समस्या से
छुटकारा मिलता है. विशेषकर आचमन
गले की शुद्धि के
लिए किया जाता है.
आचमन करने से खांसी
से राहत मिलती है.
जिसे
मरीज को लगाया जाता
है छोटे से Pipe
द्वारा पानी को शरीर
में छोड़ा जाता है.
आचमन की विधि
आचमन
कोई भी कर सकता
है इसे किसी व्यक्ति,
संप्रदाय या शास्त्र का
बंधन नहीं है. यह
एक शरीर शुद्धि और
शरीर को स्वस्थ्य रखने
की प्रक्रिया है. आचमन का
मतलब है सुबह से
लेकर शाम तक हर
एक दिनचर्या के बाद थोड़ा-थोड़ा पानी पीना।
जो पानी सरलता से
शरीर, खून और नसों
तक पहुँच सके.
तांबे
के बर्तन का पानी तांबे
के चम्मच से पिया जाय
तो वह अधिक फायदेमंद
होगा.