Friday, June 03, 2016

Ekadashi and Benefits of Fasting

                                 एकादशी का महत्व और उपवास करने से लाभ


एकादशी तिथि महीने में २ बार आती है पूर्णिमा के बाद 11th Day और अमावस के बाद का 11th Day यह २ दिन एकादशी कहलाते है अर्थात हिन्दू पंचांग के अनुसार ११ वा दिन. जिसे हम शुल्कपक्ष और कृष्णपक्ष की एकादशी तिथियां कहते है. कुल मिलाकर १२ महीनों में २४ एकादशी तिथियां आती है हर एक एकादशी अलग-अलग नाम से जानी जाती है इतनाही नहीं बल्कि हर एक एकादशी के पीछे एक-एक कथा भी प्रचलित है. इस Article में आप सभी एकादशी तिथियों के बारे में उसके महत्त्व और उपवास करने से क्या लाभ होता है इन सभी विषयों के बारे पढ़ सकते है.


                     न गायत्र्या परो मंत्रो गंगा समं तीर्थं !
                          एकादश्या समं व्रतं मातु: परदैवतम !!
अर्थात:- गायत्री मंत्र से बढाकर और कोइ मंत्र नहीं, गंगा नदी के बराबर और कोई पुण्य तीर्थ नहीं, एकादशी से बढ़कर और कोई महान तिथि नहीं और माँ से बढ़कर और कोई भगवान नहीं। इससे स्पष्ट होता है की एकादशी का महत्व कितना अधिक विशेष है.

एकादशी का व्रत रखनेसे लाभ:-
* भगवान विष्णु की कृपा बनी रहना !
* जन्म बंधन से छुटकारा !
* गत काल में तथा गत जन्म में किए गए पापोंसे मुक्ति !
* हर इच्छा की पूर्ती , जैसे अच्छी Health , लक्ष्मी की कृपा और जीवन में आनंद !
* शारीरिक कार्य में बढ़ाव लाता है !
* शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालनेमे मदत करता है !
* आत्म-नियंत्रण को मजबूत बनाने में सहायता करता है !
* भावनात्मक स्थिरता में सुधार लाता है !
मोटापा घटाने में  Help मिलती है

एकादशी व्रत रखनेका विधान :-
* पूर्णतया उपवास २४ घंटे के लिए, बिना भोजन और पानी से !
* आंशिक उपवास जैसे की फल, दूध आदि मान्य पदार्थद्वारा. चावल - अनाज अमान्य है !
* स्वास्थ्य समस्याओं के साथ लोगों को उनके Doctar के साथ परामर्श के बाद ही आंशिक उपवास  के लिए विकल्प चुन सकते है !
* कुछ लोग दशमी के दिनपर केवल एक ही वक्त भोजन स्वीकार करते है, जो की एकादशी के पहले दिन !





Lord Vishnu
Lord Vishnu


एकादशी का पौराणिक महत्व:-
यह माना जाता है की एकादशी देवी महाशक्ति का स्वरूप है जो भगवान विष्णु के शरीर से अवतरित हुयी उस दिन एकादशी का दिन था. दानव मुरासुर को हराने के लिए एकादशी के दिव्य अभिनय से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उसको आशीर्वाद दिया की जो कोई मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है वो अपने पापकर्मो से मुक्त हो जाएगा और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगीबुनियादी सिद्धांत केवल उपवास रखने के अलावा परमात्मा के प्रति प्रेम, विश्वास और भक्ति बढ़ने के लिए है, एकादशी पर उपवास के अवलोकन के लिए असली कारण शरीर की मांग को कम करनेके लिए और परमात्मा की सेवा में हमारे समय को संलग्न करनेके लिए यह एक सुलभ मार्ग बताया गया है.!

२४ तरह की एकादशीयाँ:-
. पुत्रदा एकादशी ;- जिस विवाहित जोडोंको अगर संतान नहीं होती हो वह दपंती इस व्रत को रखने से संतान की प्राप्ति होती है, यह बात अनुभव सिद्ध कही गयी है !

.षट्तिला एकादशी:- इस एकादशी के दिवस : प्रकार से तिल का उपयोग किया जाता है इसे षट्तिला कहते है।  अर्थात षट माने :!  तिल का प्रयोग उबटन के वक्त, नहाते समय, हवन करते समय, तर्पण छोड़ते वक्त, खाना पकाते समय, और दान देते वक्त किया जाता है !

. जया एकादशी:- इस एकादशी की महानता श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी. पद्म और भविष्योत्तर पुराण में इसका उल्लेख पाया जाता है !

. विजया एकादशी:- ऐसा मानना है की प्रभु श्री राम ने इस व्रत को रखा था , रावण के साथ युद्ध में विजयश्री की प्राप्ति के लिए, समुद्र पार करके लंका को जाने से पूर्व। इस व्रत के प्रभाव से उनको विजय प्राप्त हुआ था !

. आमलकी एकादशी :- भक्ति से करौदा (आमला) के पेड़ तथा करौदा खाकर इस व्रत को रखनेसे शरीर का स्वास्थ्य तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र से लक्ष्मी की प्रार्थना करके करौदा के फल की सुवर्ण की वर्षा करवाई थी !

. पापमोचनी एकादशी :-  उच्चतम नियमोंका पालन करके इस व्रत को रखनेसे मनुष्य सभी पापोंसे मुक्त हो जाता है !

. कामदा एकादशी :- इस व्रत को धारण करनेसे सभी पाप, और वासना , काम , तथा दुष्ट बुद्धिसे छुटकारा पाने में मदत मिलतीं है !

. वरुथिनी एकादशी:- इस व्रत को रखनेसे भाग्यशाली चरण दिशा की ओर कदम बढानेमे सहायता मिलतीं है !

. मोहिनी एकादशी:- सभी पांपोको समाप्त करके आनंददायी , समृद्ध जीवन जीने में मदत करता है, इसके अलावा उस व्यक्ति को उदासी के दौर से गुजरते वक्त प्रभावी ढंग से इस बीमारीपर काबू पाने के लिए सक्षम बनाता है !

१०अपरा एकादशी:- यह व्रत पांपोसे छुटकारा दिलाता है तथा अंत में मोक्ष की प्राप्ति या मोक्ष प्राप्ति के लिए सहायता मिलतीं है !

११निर्जला एकादशी:- इसे छोड़कर सामान्यत: सभी एकादशी के दिन पानी का सेवन मान्य है तथा सेवन किया जाता है. परन्तु इस व्रत को रखने के लिए पानी का सेवन करते हुए रखा जाता है इसलिए इसका नाम निर्जला एकादशी कहा जाता है , जो व्रत बिना पानी से किया हो !

१२योगिनी एकादशी:- यह सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है जो उपवास के क्रम में विभिन्न है सभी बीमारी और शारीरिक पीडाओंसे छुटकारा दिलाती है जिस योगमाया से योगिनी नाम से जानी जाती है !

१३. देवशयनी एकादशी:- ऐसा माना जाता है की भगवान विष्णु पृथ्वी का पालन-पोषण करके चार माह तक गहरी नींद में चले गए थे वह दिन एकादशी का था उसे ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है. अभी भी यह प्रथा प्रचलित है !

१४. कामिका एकादशी:- इस व्रत को रहने का अत्यधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह रहा है की अच्छे कर्म , संतो को सेवा जैसे पुण्य काम करके भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करनेके लिए यह उपवास किया जाता है !

१५. अजा एकादशी:- यह व्रत को रखनेसे सभी प्रकार के पाप कर्मोंको करनेसे तथा बुरी शक्तियोंसे बचाता है !

१६. परिवर्तिनी एकादशी:- इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु जो आदिशेष पर लेटे हुए अपना करवट बदलते है और इस बदलाव से पृथ्वीपर भी कुछ बदलाव आते है इसे ही परिवर्तन कहते है !

१७. इंदिरा एकादशी:- यह माना जाता है की एकादशी का व्रत रखनेसे नारद मुनि की सलाह पर राजा इंद्रसेन ने इंदिरा एकादशी का व्रत रखा था जो इस व्रत के प्रभाव से उसके पिता के सांसारिक जीवन के दौरान किए गए पांपो के पश्चात्ताप से अपने पिता को बचाया था !

१८. पाशांकुशा एकादशी :- जो कोई भी इस व्रत को रखता है उस के सभी इछांए पूरी होती है और अनेक यज्ञ-यागादि कर्म करनेका तथा दान-धर्म का फल मिलता है !

१९. रमा एकादशी:- इस व्रत को रखनेसे पाप और बुरे कर्म एक ही पल में धुल जाते है, शरीर तथा आत्मा पावन हो जाती है !
२०. उत्थान एकादशी:- ऐसा मानना है की इस दिन भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से जाग जाते है, पुन: मनुष्य-प्राणी का पालन करनेके लिए !

२१. उत्पन्ना एकादशी:- इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के आनंद से परिपूर्णता मिलके जीवन के बाद मृत्यु के पश्चात वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है !

२२. मोक्षदा एकादशी:- इस व्रत को करनेसे मनुष्य के जीवन का लक्ष्य जो की मोक्ष है उसे पाने में आध्यात्मिक तथा ज्ञान का मार्ग दिखानेवाली गुरु की सहायता मिलती है !

२३. सफला एकादशी:- इस व्रत का पालन करनेसे मनुष्य के कई पीढ़ियों द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाता है!

२४. हरिबोधिनी (वैकुण्ठ) एकादशी :-  यह एकादशी हिंदुओंके बीच अधिकरूप से महत्व प्राप्त कर चुकी है, यह एक शुभ समय प्रारम्भ होने का संकेत है. कहा जाता है की यह भगवान विष्णु नींद का समय समाप्त हो जाता है. इस व्रत के फलस्वरूप मनुष्य को सभी पापोंसे मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती हैइसे साल की सबसे बड़ी अधिक फलदायी एकादशी मानी जाती है !