२७ नक्षत्र (भाग-3)
५) मृगशीर्ष
नक्षत्र- मृगशीर्ष , नक्षत्र देवता- चंद्र , नक्षत्र स्वामी- मंगळ , नक्षत्र पूजनीय वृक्ष - काला कत्था , नक्षत्र ऐच्छिक वृक्ष- पीपल , राशी व्याप्ती - वे, वो, २ चरण वृषभ राशी में , का, की २ चरण मिथुन राशी में , नक्षत्र प्राणी – सांप , नक्षत्र तत्व- वायु , नक्षत्र गण- देव , नक्षत्र स्वभाव- मृदु.
मृगशीर्ष नक्षत्र से सम्बंधित कार्य :- कलाकार के गायक, संगीतकार, लेखक, कवि, चित्रकार, दार्शनिक, रत्न उद्योग, उत्पाद या सामग्री पृथ्वी से संबंधित, भूमि अभिवृद्धि, सर्वेक्षक, यात्रि, खोजकर्ता, इमारत ठेकेदार, व्यापार मशीनरी या इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित, पशु चिकित्सक, पालतू जानवरों से संबंधित, फैशन और वस्त्र उद्योग, बिक्री प्रतिनिधि, विज्ञापन प्रसारक, शासन प्रबंध, ज्योतिषि, शिक्षक की वृत्ति !
पौराणिक मंत्र:- श्वेतवर्णाकृतीः सोमो व्दिभुजो वरदण्डभृत् l
दशाश्व रथमारूढो मृगशिर्षोस्तु मे मुदे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र : १) ॐ चं चंद्रमसे नमः २) ॐ सोमाय नमः 3) ॐ मृगशीर्षाय नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- सर्व नक्षत्रं मध्येतु सोमोराजा व्यवस्थितःl सर्वारिष्ट विनाशाय सोमाय सततं नमः ll
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Star's ( Nakshatra) |
६) आर्द्रा
नक्षत्र –आर्द्रा, नक्षत्र देवता - रुद्र (शिव) , नक्षत्र स्वामी – राहु, नक्षत्र आराध्य वृक्ष - पिप्पली ( लम्बी काली मिर्च)
नक्षत्र पर्यायी वृक्ष – चंदन, नक्षत्र चरणाक्षर - कु,ख,ञ,छ. नक्षत्र प्राणी- कुत्ता, नक्षत्र तत्व- जल, नक्षत्र स्वभाव – तीक्ष्ण, नक्षत्र गण- मनुष्य.
जन्म नक्षत्र फल:- जो अहंकार दिखाता हो, मदत करनेवालोंको भुला देनेवाला, हिंसा प्रेमी, और पाप कर्म करनेवाला !
नक्षत्र से जुडी वृत्ति:- शारीरिक श्रम से जुड़े काम, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बिजली इंजीनियर, ध्वनि तकनीशियन, इलेक्ट्रॉनिक संगीत, वीडियो गेम डेवलपर, विशेष प्रभाव और 3-डी प्रौद्योगिकी, विज्ञान कथा लेखक, भाषाकोविद, चित्रकार , दार्शनिक, भौतिक विज्ञानी, शोधकर्ता, सर्जन, फार्मासिस्ट, परमाणु ऊर्जा उद्योग, मनोचिकित्सक, न्यूरोलॉजिस्ट के साथ काम करता है; जासूसी, बिक्री विशेषज्ञ, विश्लेषक, राजनेता, चोर, शतरंज खिलाड़ी आदि विषयों का ज्ञाता !
पौराणिक मंत्र: - रुद्र श्वेतो वृशारूढः श्वेतमाल्यश्चतुर्भुजःl
शूल खड्ग अभयवरान्दधानो मे प्रसीदतु ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र: ॐ रुद्राय नमः l नक्षत्र नाम मंत्र:-ॐ आर्द्रायै नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र: - रुद्रोदेवो वृषारुढश्चतुर्बाहु:स्त्रिलोचनःl सर्वारिष्ट विनाशाय रुद्रायच नमोनमःll
७) पुनर्वसु
नक्षत्र- पुनर्वसु, नक्षत्र देवता- अदिती, नक्षत्र स्वामी- गुरू, नक्षत्र आराध्य वृक्ष – बांस, नक्षत्र पर्यायी वृक्ष- बरगद
नक्षत्र चरणाक्षर- के,को,हा, ही, नक्षत्र प्राणी- बिल्ली, नक्षत्र तत्व- वायु, नक्षत्र स्वभाव- सत्व, नक्षत्र गण- देव.
जन्म नक्षत्र फल:- सुखी, सुशिल, दमनशील, अल्प मेधावी, रोंगो से पीड़ित , अधिक प्यासा, और अल्प संतोषी ( थोड़ा मिलनेसेहि सतुंष्ट होनेवाला) !
नक्षत्र से जुडी वृत्तियाँ:- पर्यटन, यात्रा उद्योग, होटल प्रबंधक , व्यापार उद्योग, निर्माण, वास्तुकला, सिविल इंजीनियर्स, वैज्ञानिक, अध्यापक, लेखक, गूढ़ अध्ययन, दार्शनिक, मंत्रि, इतिहासकार, प्राचीन वस्तु का व्यापारि, समाचार पत्र उद्योग, मकान मालिक, अंतरिक्ष यात्री, कोरियर, कारीगर, नवीन आविष्कार, तीरंदाजी, इनको अधिक तर अपने हाथों का उपयोग की आवश्यकता होती है !
पौराणिक मंत्र:- अदितीः पीतवर्णाश्च स्त्रुवाक्ष कमण्डलून l
दधाना शुभदा मस्य पुनर्वसु कृतारव्या ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :- १) ॐ अदित्यै नमःl २) ॐ अदितये नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- अदितीर्देव माताच पुनर्वस्वधि पातया l सर्वारिष्ट विनाशाय अदित्यै च नमोनमःll
८) पुष्य
नक्षत्र- पुष्य, नक्षत्र देवता- गुरु, नक्षत्र स्वामी- शनि, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- पीपल,नक्षत्र पर्यायी वृक्ष- अंजीर
नक्षत्र चरणाक्षर- हु, हे, हो, डा, नक्षत्र प्राणी- बकरी, नक्षत्र तत्व- अग्नी, नक्षत्र स्वभाव- शुभ, नक्षत्र गण- देव
जन्म नक्षत्र फल:- जिनका मन सदा शांत रहता हो, महाज्ञानी, धनिक, सदा धर्म के मार्ग का अनुसरण करनेवाले और सुन्दर होते है !
नक्षत्र से जुडी वृत्तियाँ:- राजनेता, रईस, खानपान, खाद्य या पेय उद्योग, परिचारिक, डेयरी उद्योग, सलाहकार, मनोवैज्ञानिक, पादरी, पुजारि, पंडित,आध्यात्मिक सलाहकार, दान कार्यकर्ता, शिक्षक, बच्चे की देखभाल पेशेवर, कारीगर, अचल संपत्ति में व्यवसाय, किसान, पानी से संबंधित उद्योग, व्यापार रूढ़िवादी या पारंपरिक धर्मों से संबंधित कार्य में कुशल !
पौराणिक मंत्र:- वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम् l
सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ बृहस्पतये नमःl नक्षत्र नाम मंत्र: ॐ पुष्याय नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- देवमंत्री विशालाक्ष सदालोकहिते रतःl सर्वारिष्ट विनाशाय धिषणाय नमोनमःll