Tuesday, July 12, 2016

27 Nakshatra Chapter 4

                        २७ नक्षत्र (भाग-4)

9) आश्लेषा
नक्षत्र- आश्लेषा, नक्षत्र देवता- सांप , नक्षत्र स्वामी - बुध, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- नागकेसर ( लाल) , नक्षत्र पर्यायी वृक्ष -उंडी , नक्षत्र चरणाक्षर - डि,डू,डे,डो, नक्षत्र प्राणी- बिल्ली , नक्षत्र तत्व - जल , नक्षत्र स्वभाव- तीक्ष्ण  नक्षत्र गण- राक्षस.               
नक्षत्र जन्मफल:- जिद्दी स्वाभववला, अधिक आशावादी, पापकर्म निरत, और कृतघ्न , मदतगार को भूलनेवला ! 
विशेष:- इस नक्षत्र में जन्म लेनेवाले मनुष्य की नक्षत्र शांति पूजा करना अनिवार्य है.


नक्षत्र से जुडी वृत्ति - केमिस्ट या रासायनिक इंजीनियर, व्यवसाय जहर या खतरनाक सामग्री, पेट्रोलियम उद्योग, दवा उद्योग, ड्रग डीलर, तंबाकू उद्योग, चोर, गबन, वयस्क मनोरंजन उद्योग, सरीसृप, सपेरा, सर्जन, गुप्त आपरेशन-सर्विस, वकीलों के साथ काम करना, राजनीतिज्ञ सलाहकार, मनोवैज्ञानिक, कृत्रिम निद्रावस्था में लानेवाला, योग प्रशिक्षक, और नीमहकीम।
पौराणिक मंत्र:- सर्पोरक्त: त्री नेत्रश्च  फलकासि करद्वय: l 
पितांबर धृग्वरदो आश्लेषा देवता स्तुमे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र- सर्पेभ्यो नमःl  नक्षत्र नाम मंत्र- आश्लेषायै नमःl
नक्षत्र पीड़ा परिहार मंत्र:-सर्व वैद्य अश्विनौ  देवौ व्दिभुजौ शुक्लवर्णकोसर्वारिष्ट विनाशाय तस्मै नित्यं नमोनमःll




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10) मघा
नक्षत्र- मघा, नक्षत्र देवता- पितर, नक्षत्र स्वामी- केतु, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- बरगद  , नक्षत्र पर्यायी वृक्ष- रिठा
नक्षत्र चरणाक्षर- मा,मि,मू,मे, नक्षत्र प्राणी- चूहा , नक्षत्र तत्व- अग्नी , नक्षत्र स्वभाव- क्रूर , नक्षत्र गण- राक्षस
नक्षत्र जन्मफल:- दो से ज्यादा भाई-बहन के साथ रहनेवाला, धनिक, हर तरह के भोग भोगनेवाला, भगवान और माता-पिता की भक्ति करनेवाला, सदा उत्साह से भरपूर !
नक्षत्र से जुडी वृत्ति:- प्रबंधक, कार्यकारी अधिकारी, अध्यक्ष, प्रशासन, रॉयल्टी, सरकारी अधिकारी, कथा लेखक, नौकरशाह, रईस, वकील, न्यायाधीश, रेफरी, राजनीतिज्ञ, लाइब्रेरियन, वक्ता, इतिहासकार, संग्रहालय में पदवी, एंटीक डीलर, पुरातत्व विद्वान जेनेटिक इंजीनियर, प्राचीन संस्कृति का शोध कर्ता, दस्तावेजीकरण  कलाकार, वक्ता, तांत्रिक !
पौराणिक मंत्र :-  पितरः पिण्डह्स्ताश्च कृशाधूम्रा पवित्रिणःl  
कुशलं द्घुरस्माकं मघा नक्षत्र देवताःll
नक्षत्र देवता नाममंत्र- पितृभ्यो नमःl   नक्षत्र नाम मंत्र- मघायै नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- पितरः कृष्ण वर्णाश्च चतुर्हस्ता विमा नगाःसर्वारिष्ट विनाशाय तेभ्योनित्यं नमोनमःll



11) पुर्वा (फाल्गुनी)
नक्षत्र- पुर्वा (फाल्गुनी) , नक्षत्र देवताभगनक्षत्र स्वामीशुक्र, नक्षत्र आराध्य वृक्ष - पलाश (पळस)
नक्षत्र पर्यायी वृक्ष- बेल, नक्षत्र चरणाक्षर - मो,टा,टी,टुनक्षत्र प्राणी- चूहा , नक्षत्र तत्व- क्रुर, नक्षत्र स्वभाव - सत्व
नक्षत्र गण- मनुष्य
नक्षत्र जन्मफल:- सदा प्रिय वचन बोलनेवाला, दान-धर्म करनेवाला, आकर्षक व्यक्तित्व , यात्रा प्रेमी और राज सेवक ( उच्च स्थान का सेवक
नक्षत्र से जुडी वृत्तियाँ:-  कार्यकारी, सरकारी अधिकारी, मनोरंजन, मेकअप कलाकार, मॉडल, फोटोग्राफर, चित्रकार, कला संग्रहालय या गैलरी, संगीतकार, शिक्षक, रत्न व्यापारी, शारीरिक फिटनेस ट्रेनर, इंटीरियर डेकोरेटर, महिला के उत्पादों के साथ काम करते हैं, गुप्त -चिकित्सक, नींद चिकित्सक, जीवविज्ञानी, पर्यटन, कपास और रेशम उद्योग।
पौराणिक मंत्र:-  भगं रथवरारुढं व्दिभुंज शंखचक्रकम् l  
फाल्गुनी देवतां ध्यायेत् भक्ताभीष्ट वरप्रदम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र: भगाय नमःl   नक्षत्र नाम मंत्र- पुर्व फाल्गुनीभ्यां नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- अश्विनौ वैद्य देवौ व्दिभुजौ शुक्लवर्णको l सर्वारिष्ट विनाशाय अश्विभ्यांवै नमो नमः !!

12) उत्तरा (फाल्गुनी)
नक्षत्र- उत्तरा (फाल्गुनी) , नक्षत्र देवताअर्यमा , नक्षत्र स्वामीरवि, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- पिंपरी( प्लक्ष )
नक्षत्र पर्यायी वृक्ष - श्वेत कनेर , नक्षत्र चरणाक्षरटे,टो,पा,पी, नक्षत्र प्राणी- गाय , नक्षत्र तत्ववायु,        
नक्षत्र स्वभावसत्व , नक्षत्र गण- मनुष्य
नक्षत्र जन्मफल:- दिखनेमें सुन्दर, अपनी विद्या से धन कमानेवाला, भोगी, और सुखोंका अनुभोग लेनेवाला !
नक्षत्र से जुडी वृत्ति:- मनोरंजन, संगीतकार, कलाकार, प्रबंधक, नेता, सार्वजनिक आंकड़ा, खेल सुपरस्टार, संगठन के प्रमुख, शिक्षक, उपदेशक, परोपकारि, शादी सलाहकार, संयुक्त राष्ट्र के साथ काम, राजनायक, संस्थापक, बैंकर, लेनदार, सामाजिक कार्यकर्ता, सलाहकार , कमांडर !
पौराणिक मंत्र:-  धुम्रवर्णं रथारुढं सुशक्ति करसंयुतम् l  
सम्पूज्यामि अर्यमणं  उत्तर्फाल्गुनि  देवताम् !!
नक्षत्र देवता नाममंत्र - अर्यम्णे नमः ! नक्षत्र नाम मंत्र- उत्तरा फाल्गुनीभ्यां नमःl 
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- उत्तराधि पतिश्चैव लोक संरक्षकस्तथा !  सर्वारिष्ट विनाशाय तस्मै नित्यं नमोनमः !!