Tuesday, July 05, 2016

27 Nakshatra Chapter 2

                     २७ नक्षत्र (भाग-२)

पने जन्म नक्षत्र दोष को या अपने जन्म कुंडली के अनुसार नक्षत्र ग्रह दोष निवारण के लिए निचे दिए गए नक्षत्र देवता या नक्षत्र के स्वामी की आराधना कर सकते है. ज्योतिष्य शास्त्र के अनुसार हर एक नक्षत्र से जुड़े अपने-अपने गुण-धर्म होते है जिसका उल्लेख बृहत जातक , पाराशरी , होरा इत्यादि ग्रन्थोमे किया गया है.  जैसे की उनके स्वभाव-गुण , नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय या वृत्ति और परिहार मन्त्र . हम अपने नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय करके लाभ प्राप्त कर सकते है.

 हर एक नक्षत्र , राशि और ग्रह का एक गुण स्वभाव होता है, जो अलग-अलग फल को दर्शाता है. अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार व्यापार करने के लिए ज्योतिषियोंकी सलाह जरूर ले.
. नक्षत्र के भगवान की सुवर्ण ( सोने ) की प्रतिमा बनाकर पूजा कर सकते है !
. नक्षत्र वृक्ष ( पेड़ ) की पूजा या परिक्रमा करके अथवा साल में एक बार  पेड़ लगाके अपना पाप कर्म धोकर पुण्य संपादन कर सकते है !
. नक्षत्र देवता के मन्त्र का जाप करना !
Nakshtra ( Star's)
नक्षत्र की  जानकारी, नक्षत्र फल , वृत्ति और उनके मंत्र :-

1) अश्विनी
नक्षत्र - अश्विनी , नक्षत्र देवता - अश्विनीकुमार , नक्षत्र स्वामी - केतु  ,  नक्षत्र  पूज्य वृक्ष - वत्सनाग  , नक्षत्र ऐच्छिक वृक्ष - अडोसा ( अडूसा ) , नक्षत्र चरणाक्षर - चु, चे, चो, ला ४ चरण मेष राशी में  , नक्षत्र प्राणी- घोडा नक्षत्र तत्व - वायु , नक्षत्र गण- देवनक्षत्र स्वभावमृदु.
अश्विनी नक्षत्र में जन्म हुए मनुष्य के गुण:- अलंकार प्रेमी , सुंदर, मनोहर -जिनको देखनेसे मन प्रसन्न हो, समर्थ, और बुद्धिमान होते है !
अश्विनी से जुड़े व्यवसाय:-  प्रेरक प्रशिक्षक, अभियान प्रबंधकएथलीट, खेल से संबंधित व्यवसाय, हवाई जहाज/ ऑटो / नाव / घोड़ा दौड़ी , सैन्य, कानून प्रवर्तन, इंजीनियरिंग, जौहरी, चिकित्सा व्यवसाय, फार्मासिस्टसलाहकार , औषधि माहिर, शारीरिक रूप से साहसी क्षेत्र में कला प्रदर्शन , अन्वेषक, शोधकर्ता, और माली !
        पौराणिक मंत्र:- अश्विनी देवते श्वेतवर्णो तौ व्दिभुजौ स्तुमः !
                                                               सुधा संपुर्ण कलश कराब्जावश्च वाहनौ ll                                          नक्षत्र देवता मंत्र:-  ) ॐ अश्विनी कुमाराभ्यां नमः २) अश्विभ्यां नमः
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- स्वर्वेद्या: अश्वीनौ देवौ व्दिभुजौ शुक्लवर्णको सर्वारिष्ट विनाशाय अश्विभ्यां वै नमो नमः !!
नक्षत्र नाम मंत्र: अश्वयुग्भ्यां नमःl


) भरणी
नक्षत्र -भरणीनक्षत्र देवता - यमाद्य पितर, नक्षत्र स्वामी -शुक्र, नक्षत्र आराध्य वृक्ष - आंवला, नक्षत्र ऐच्छिक  वृक्ष- काला कत्थाराशी व्याप्ती - ली, लु, ले, लो   चरण मेष राशी मेंनक्षत्र प्राणी - हाथीनक्षत्र तत्व - अग्नी, नक्षत्र स्वभावक्रूर , नक्षत्र गण- मनुष्य .  
भरणी नक्षत्र में पैदा हुए मनुष्य के गुण:- कार्य करनेकी क्षमता रखनेवाले , सत्य का मार्ग अपनानेवाले या सत्य बोलनेवले, निरोगी, चतुर और सुखी !
भरणी नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय :- बच्चे से जुडी (शिक्षण, बच्चे की देखभाल, आदि), स्त्री रोग विशेषज्ञ, दाई, प्रजनन विशेषज्ञ, ताबूत बनानेवाला, संपत्ति सलाहकार, हत्या जासूसी, लेखक, अंतिम संस्कार सेवाओं के साथ जुड़े क्षेत्रमनोरंजन, मॉडल, विदेशी या यौनकर्मियों से जुड़े , न्यायाधीश, होटल उद्योग, खानपान, पशु चिकित्सक, आग सेनानी, सर्जन, फोटोग्राफर, चरम गोपनीयता, भूभौतिकी, भूकंप और ज्वालामुखी विशेषज्ञों की स्थिति.                                                                            
                               पौराणिक मंत्र:-पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनम l
                                                   यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम् ll
नक्षत्र देवता नाम मंत्र: यमाय नमः अपभरणीभ्यो नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- दंडहस्त धरं देवं महामहिष वाहनंसर्वारिष्टं विनाशय अहं नमामि नित्यं ll
                                  


) कृतिका
नक्षत्रकृतिका , नक्षत्र देवताअग्नी  , नक्षत्र स्वामीरवि  , नक्षत्र पूजनीय वृक्ष - गूलर (औदुंबर) , 
नक्षत्र ऐच्छिक  वृक्षबहेड़ा , राशी व्याप्ती, १ चरण मेष राशि में . , , चरण वृषभ राशी में 
 नक्षत्र प्राणी- बकरी  ,  नक्षत्र तत्वअग्नी  , नक्षत्र गण- राक्षस,  नक्षत्र स्वभावक्रूर.
कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेनेवालोंके गुण:- अधिकतर भोजन में रूचि रखनेवाले , तेजस्वी और  जीवन में तरक्की के आसमान को छूते है !
कृत्तिका नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय :-  प्राधिकारी या प्रबंधन की स्थिति, जनरल, आलोचक, अध्यापक, विश्वविद्यालय व्यवसाय, वकील, तकनीकी व्यवसाय, चाकू या तलवार, तलवारबाजी, आर्चर, लोहार, जौहरी, सर्जन, विस्फोटक या आग से जुड़े व्यवसायों के रूप में तेज वस्तुओं से संबंधित किसी भी क्षेत्र से , आग सेनानी, पुलिस, सेना, खनिक, पुनर्वास विशेषज्ञ, प्रेरक ट्रेनर, मिट्टी के बरतन, आध्यात्मिक शिक्षक, हेयर स्टाइलिस्ट, दर्जी, और अनाथालय के लिए काम करना !
                                      पौराणिक मंत्र:- कृतिका देवतामाग्निं मेशवाहनं संस्थितम् l
                                                       स्त्रुक् स्तुवाभीति वरधृक्सप्तहस्तं नमाम्यहम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र: आग्नेय नमः कृतिकाभ्यो नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- आग्नेयः पुरुषोरक्त सर्व देवमयोव्ययः ll
                                   

) रोहिणी
नक्षत्र- रोहिणी , नक्षत्र देवताब्रम्हा  , नक्षत्र स्वामीचंद्र , नक्षत्र पूजनीय वृक्ष -काला जामुन ( जांभळ) नक्षत्र ऐच्छिक वृक्ष- बेल  , राशी व्याप्ती -  , वा, वि, वू चरण वृषभ राशी में , नक्षत्र प्राणी- सांप , नक्षत्र तत्व- पृथ्वीनक्षत्र गण- मनुष्य  ,  नक्षत्र स्वभाव- मृदु.
रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेनेवालोंके गुण:- साफ-सफाई में ध्यान देनेवाले, सच बोलना पसंद करनेवाले, स्थिर बुद्धिवाले, मधुर भाषण करनेवाले और सुन्दर दिखनेवाले !  
रोहिणी नक्षत्र से जुडी वृत्ति :- कृषि, धान्य प्रसंस्करण, वनस्पति, वैद्य, कलाकार, संगीतकार, मनोरंजन उद्योग, कॉस्मेटिक उद्योग,   जौहरी, रत्न व्यापारी, इंटीरियर डेकोरेटर, बैंकर, परिवहन व्यवसाय, पर्यटन, ऑटोमोबाइल उद्योग, तेल और पेट्रोलियम, वस्त्र उद्योग, शिपिंग उद्योग, पैकेजिंग और वितरण, और किसी भी जलीय उत्पादों और तरल पदार्थ के साथ जुड़ा हुआ पेशा !                                                             
                                        पौराणिक मंत्र:- प्रजापती: चतुर्बाहुकमंडल्वक्ष सूत्रधृत् l
                                                             वराभयकरः शुध्दौ रोहिणी देवतास्तु मे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र: ) ब्रम्हणे नमः ) प्रजापतये नमः 3)   रौहिण्यै नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- त्रुवाक्ष मालाकरक पुस्तकाढ़यं चतुर्भुजंसर्वारिष्ट विनाशाय दातवत्क्रं नमामिच ll