Tuesday, August 02, 2016

27 Nakshatra Chapter 8

                         २७ नक्षत्र

                 नक्षत्र के अनुसार मनुष्य की आयु (भाग-8)


26) उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र- उत्तराभाद्रपदानक्षत्र देवता- अहिर्बुधन्य, नक्षत्र स्वामी- शनि, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- नीम
नक्षत्र पर्याय वृक्ष- आमलानक्षत्र चरणाक्षर-,  नक्षत्र प्राणी- गाय, नक्षत्र तत्व- जल, नक्षत्र गणमनुष्य,  नक्षत्र स्वभाव- रज .
जन्म नक्षत्रफल:-  जिनका जन्म इस नक्षत्र में होता है वह व्यक्ति अधिक बोलनेवाले,सुखी, शत्रुपर विजय प्राप्त करनेवाले होंगे तथा धर्म पर निष्ठा रखकर  अपने पुत्र ,परिवार के साथ आनंद से रहेंगे !


नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय:-  दार्शनिक, लेखक, शिक्षक, धर्मार्थ कार्य, आयात या निर्यात काम, पर्यटन उद्योग, धार्मिक कार्य, ज्योतिषि, योग और ध्यान के विशेषज्ञ, परामर्शदाता, चिकित्सक, आरोग्य, तांत्रिक व्यवसायी, साधु, संगीतकार, रात का चौकीदार, इतिहासकार, पुस्तकालय, विरासत पर रहने वाले लोगों के साथ रहना इत्यादि !
पौराणिक मंत्र:-   अहिर्मे बुध्नियो भूयात मुदे प्रोष्ठ पदेश्वरःशंखचक्रांकीतकरः किरीटोज्वलमौलिमान् ll
नक्षत्र देवता नाममन्त्र : अहिर्बुंधन्याय नमःनक्षत्र नाम मंत्र: उत्तरप्रोष्ठपदभ्यां नमःl
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:- अहिर्बुध्न्य:सदाश्रेष्ठःसर्वरक्षणकस्तथासर्वारिष्ट विनाशाय तस्मै नित्यं नमो नमःll
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27) रेवती
नक्षत्र- रेवती, नक्षत्र देवता- पूषा, नक्षत्र स्वामी- बुध, नक्षत्र आराध्य वृक्ष- मोह ( मधुक ), नक्षत्र पर्याय वृक्ष- जेष्ठमध या इमलीनक्षत्र चरणाक्षर- दे,दो,चा,चि, नक्षत्र प्राणी- हाथीनक्षत्र तत्व- जल नक्षत्र स्वभाव- मृदु  नक्षत्र गण- देव
जन्म नक्षत्रफल:-  सदा साफ सुतरा रहना पसंद करनेवाले, धैर्य और शौर्यता को प्रदर्शन करनेवाले धनि बनेंगे इनका शरीर भी मजबूत होगा !

नक्षत्र से जुडी वृत्तियाँ:-  धर्मार्थ कार्य, शहरी योजनाकार, सरकारी कर्मचारि, मनोविज्ञान, रहस्यमय या धार्मिक कार्य, कृत्रिम निद्रावस्था में लानेवाला, ट्रैवल एजेंट, विमान परिचारिका, पत्रकार, संपादक, प्रकाशक, अभिनेता, हास्य कलाकार, राजनेता, चित्रकार, संगीतकार, मनोरंजन, भाषाविद्, जादूगर,सड़क योजनाकार, ज्योतिषि, प्रबंधक, रत्न डीलर, शिपिंग उद्योग, अनाथालय या पालक की देखभाल, ड्राइविंग व्यवसाय, हवाई यातायात नियंत्रण, यातायात पुलिस, प्रकाश घर के काम से सम्बंधित हो सकते है।
पौराणिक मंत्र:- वराभयोज्वलकरं रत्नसिंहासने स्थितम्पूषणं सततं वंदे रेवतीशं समृध्दये !!
नक्षत्र देवता नाममंत्र:-  पूष्णे नमःl   नक्षत्र नाम मंत्र:- रेवत्यै नमः!
नक्षत्र पीडा परिहार मंत्र:-
अधिपोरेवतीॠक्षः पशुरक्षणकस्तथा !   सर्वारिष्ट विनाशाय तस्मै नित्यं नमो नमः!!

ज्योतिष्य शास्त्र के अनुसार मनुष्य की आयु १२० वर्ष बताई गयी है जो जन्म नक्षत्र से उसका ज्ञात होता है. हर तीन नक्षत्र के एक ग्रह स्वामी होते है. इस गणना को ग्रह दशा या नक्षत्र दशा भी कहते है. जन्म समय में अगर मनुष्य को नक्षत्र के अनुसार नक्षत्र के पूरे अंश मिलते है तो मनुष्य १२० वर्ष तक जीवित रह सकता है परंतु इतनाही नहीं उसके कर्म तथा पूर्व जन्म के फल के अनुसार आयु में बदलाव भी आते है पूर्ण अंश प्राप्त होनेपर भी  जिससे मनुष्य अल्प आयु में मृत्यु के स्वाधीन होता है, जैसे की आत्महत्या, रोगोंसे पीड़ित रहना, हत्या तथा अपघात मृत्यु इत्यादि..!


परंतु यह उल्लेख मिलता है वेदादि, शास्त्र के आधार पर कह सकते है की मनुष्य की आयु १२० साल तक कही गयी है. आज के दिन भी १०० या उससे अधिक वयोवृद्ध मनुष्य देखनेको मिलते है. इससे यह बात सिद्ध होती है. तो चलो हम इस बात की पुष्टि करते है किस नक्षत्र और ग्रह के अनुसार कितना आयुष्य मनुष्य को मिलता है. ग्रह रवि और नक्षत्र कृत्तिका से यह प्रारम्भ होता है. यह ग्रह क्रम से नहीं कहे है क्योंकि नक्षत्र के गुण स्वभाव के अनुसार उन नक्षत्रोंको अलग-अलग ग्रह का स्वामित्व दिया गया है उस प्रकार वह नक्षत्र उनके अधिपत्य में आते है !

 नक्षत्र और उनके स्वामी तथा दशा वर्ष :-
  1)  कृत्तिका, उत्तरा फाल्गुनी , उत्तराषाढा   रवि दशा  वर्ष
  2)  रोहिणी, हस्त , श्रवण                           चंद्र दशा      १० साल
  3)  मृगषिरा, चित्रा, धनिष्ठा                         मंगळ दशा   साल
  4)  आर्द्रा, स्वाती, शततारका                     राहु दशा     १८ साल
  5)  पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वभाद्रपदा              गुरु दशा   १६ साल
  6)  पुष्य, अनुराधा, उत्तरभाद्रपदा              शनि दशा   १९ साल
  7)  आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती                        बुध दशा  १७ साल
  8)  मघा, मूळ, अश्विनी                             केतु दशा    साल
  9)  पूर्वा फाल्गुनी , पूर्वाषाढा, भरणी          शुक्र दशा    २० वर्ष !

आज हमारा यह २७ नक्षत्र तथा मनुष्य के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य का ८वा भाग यहीपर समाप्त होता है. हम अगले आनेवाले लेख में फिर से दूसरे विषय पर जानकरी देंगे। हमारे नए लेख की जानकारी प्राप्त होने के लिए हमारे ब्लॉग के सदस्य बन सकते है  और फेसबुक पर  हिन्दू परंपरा पेज को लाईक कर के लगातार नए लेख की जानकारी प्राप्त कर सकते है