नाग पंचमी
नाग पूजन व प्राचीन मान्यताए
हमारा देश धार्मिक,
आस्था और विश्वास
का देश है.
हमारे यहाँ पूजा-पाठ विश्वास
एवं श्रद्धा-भक्ति
से किए जाते
है जिस परम्परा
का हम हजारो
सालो से पालन
करते आ रहे
है. हमारे पुर्वजोने
जो कुछ भी
रीती-रिवाज बनाए
है उन नियमो
के पीछे मनुष्य
कल्याण मात्र छुपा हुआ
है जैसे की
नाग पंचमी के
बारे क्या कहते
है देखेंगे श्रावण
महीनों के दौरान
नाग पंचमी त्योहार का बड़े
श्रद्धा-भक्ति के साथ
जश्न से मनाया
जाता है इसके
पीछे कई कारण
है उनमेसे एक
कारण यह है
कि यह समय
मानसून का होता
है और तकरीबन
हर दिन बारिश
बरसती रहती है
भारी बारिश के
दौरान सांप उनके
बिल से बाहर
आते हैं और
घूमते हैं, जिससे
मनुष्य के लिए
एक खतरा हो
सकता हैं।
हमारे पुर्वजोने यह बात ध्यान में रखते हुए सांपोको तथा मनुष्य को कोई खतरा या संकट ना आए इसलिए उन्होंने इस दिन नागोंकी पूजा करनेकी प्रथा शुरू की.
हमारे पुर्वजोने यह बात ध्यान में रखते हुए सांपोको तथा मनुष्य को कोई खतरा या संकट ना आए इसलिए उन्होंने इस दिन नागोंकी पूजा करनेकी प्रथा शुरू की.
नाग पंचमी के दिन
नागों का दर्शन
करना शुभ होता
है. सर्पों को
शक्ति व सूर्य
का अवतार माना
जाता है. हमारे
यहां सर्प, अग्नि,
सूर्य और पितरों
को सबसे अधिक
महत्व दिया जाता
है. प्राचीन इतिहास
की प्रमाणों को
उठाकर देखे तो
भी इसी प्रकार
के प्रमाण हमारे
सामने आते है.
इतिहास की सबसे
प्राचीन सभ्यताएं जिसमें मोहनजोदडों,
हडप्पा और सिंधु
सभ्यता के अवशेषों
को देखने से
भी कुछ इसी
प्रकार की वस्तुएं
सामने आई है,
जिनके आधार पर
यह कहा जा
सकता है, कि
नागों के पूजन
की परम्परा हमारे
यहां नई नहीं
है. इन प्राचीन
सभ्यताओं के अलावा
मिस्त्र की सभ्यता
भी प्राचीन सभ्यताओं
में से एक
है. यहां आज
भी नाग पूजा
को मान्यता प्राप्त
है.
शेख हरेदी नामक पर्व आज भी यहां सर्प पूजा से जुडा हुआ पर्व है.
शेख हरेदी नामक पर्व आज भी यहां सर्प पूजा से जुडा हुआ पर्व है.
इस प्रथा के अनुसार
इस दिन नाग
को दूध पिलाया
जाता है तथा
उनकी पूजा की
जाती है. इस
दिन नाग के
मंदिर जाकर या
घर में ही
नाग का चित्र
बनाकर उसे पूजा
जाता है. आज
भी साँपोके प्रति
अनेक धारणाएं मन
में घर किए
बैठी है. भारत
में सर्प भगवान्
के बहुत
सारे प्रसिद्ध मंदिर
भी है. कृषि,
औषधि, तथा विज्ञान
के जगत
में सांपो की
आवश्यकता मनुष्य को है
विशेषत: दवा बनानेके
लिए इत्यादि....!
चिकित्सा जगत में महत्व:-
आधुनिकता की दौड
में तकनीकि क्षेत्रों
का विस्तार तो
हुआ है, पर
नाग पंचमी जैसे
पर्वों की महत्वता
में कोई कमी
नहीं हुई है.
बल्कि देखा जाये
तो आज के
संदर्भों में नागों
को बचाना और
भी तर्कसंगत लगता
है. आज का
चिकित्सा जगत काफी
हद तक दवाईयों
के निर्माण के
लिये नागों से
प्राप्त होने वाले
जहर पर निर्भर
है. इनके जहर
की हलकी सी
मात्रा ही कई
लोगों का जीवन
बचानें में सहयोग
करती है.
![]() |
Naag Devata |
हिन्दू शास्त्रों में नाग पंचमी:-
शास्त्रों के अनुसार
श्रावण मास के
शुक्ल पक्ष की
पंचमी तिथि का
दिन नाग पंचमी
के रुप में
मनाया जाता है.
इसके अलावा भी
प्रत्येक माह की
पंचमी तिथि के
देव नाग देवता
ही है. परन्तु
Shravan मास की
शुक्ल पक्ष की
पंचमी में नाग
देवता की पूजा
विशेष रुप से
की जाती है.
इस दिन नागों
की सुरक्षा करने
का भी संकल्प
लिया जाता है.
Naag panchami का पर्व
प्रत्येक वर्ष पूर्ण
श्रद्धा व विश्वास
के साथ मनाया
जाता है. और
हमने सुना भी
है नाग लोक
नामक एक लोक
भी है जहाँ
साँपोंका निवास होता है.
कहते है सात
लोक है जिनमेंसे
एक पाताल ( नाग)
लोक. ऋग्वेद में
सर्प सूक्त भी
है.
इससे यह बात सिद्ध होती है की साँप को देवता माना गया है. इतनाही नहीं राहु ग्रह को नाग का स्वरूप माना जाता है राहु-केतु ग्रहोंका शरीर आधा साँप का आधा मनुष्य का , पुराण के कथा अनुसार सांप की फन केतु के शरीर से और सांप की पूँछ राहु के शरीर से जोड़ दी गयी. कहा जाता है की अगर जन्म कुंडली में राहु ग्रह की पीड़ा होतो या राहु से सम्बंधित कोई दोष होतो नाग देवता की पूजा की जाती है. दक्षिण भारतीय लोग इसे अधिक मानते है. जैसे की नाग देवता से सम्बंधित कुंडली में दोष कुछ इस प्रकार है.
इससे यह बात सिद्ध होती है की साँप को देवता माना गया है. इतनाही नहीं राहु ग्रह को नाग का स्वरूप माना जाता है राहु-केतु ग्रहोंका शरीर आधा साँप का आधा मनुष्य का , पुराण के कथा अनुसार सांप की फन केतु के शरीर से और सांप की पूँछ राहु के शरीर से जोड़ दी गयी. कहा जाता है की अगर जन्म कुंडली में राहु ग्रह की पीड़ा होतो या राहु से सम्बंधित कोई दोष होतो नाग देवता की पूजा की जाती है. दक्षिण भारतीय लोग इसे अधिक मानते है. जैसे की नाग देवता से सम्बंधित कुंडली में दोष कुछ इस प्रकार है.
१) सर्प दोष
:- परिणाम बच्चे देर से
पैदा होना या
गर्भपात होना .
२) काल सर्प
दोष:- परिणाम हर
काम में अपयश
, नुकसान, व्यापार में मंदी,
धन की कमी
इत्यादि...!
ऐसे अनेक प्रकार
के दोष तथा
फल भी बताए
गए है. नागोंमे विशेष रूप
से
नव नाग की
स्तुति की गयी
है !
अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं !
शंखपालं धृतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा !!
एतानि नवनामानि नागानांच महात्मन: !
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत: !!
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् !
अर्थात :- जो कोई
भी मनुष्य इन
नौ नागोंकी प्रार्थना
या इस स्तोत्र
का जाप सुबह-शाम करता
है उसको कभी
विषबाधा नहीं होती
और वह अपने
कार्य में विजय
होता है !
पुराण के अनुसार :-
पुराणों की एक
कथा के अनुसार
इस दिन नाग
जाति का पुनर्जन्म
हुआ था, ऐसा
उल्लेख किया गया
है. महाराजा परीक्षित
को उनका पुत्र
जनमेजय जब नाग
तक्षक के काटने
से नहीं बचा
सका तो जनमेजय
ने सर्प यज्ञ
कर तक्षक को
अपने सामने पश्चाताप
करने के लिये
मजबूर कर दिया.
तक्षक के द्वारा
क्षमा मांगने अर
उन्हें क्षमा कर दिया
गया, और सब
सर्पोंको फिर से
जीवित कर दिया
वह नाग पंचमी
का दिन था
और नाग देवता
को वर प्राप्त
हुआ की श्रावण
माह की शुक्ल
पंचमी नाग पंचमी
नाम से जानी
जाएगी जो कोई
भी मनुष्य श्रावण मास की
पंचमी के दिन Naag देवता का पूजन
करेगा, वह मनुष्य
नाग दोष से
मुक्त हो जाएगा.
कृष्ण और कालिया नाग की कथा:-
ऐसा भी कहा
जाता है कि भगवान्
कृष्ण ने अपने
बाल्य काल में कालिया
नामक साँप के
उत्पीड़न से लोगों
की जान बचाई
थी. यह माना
जाता है कि
एक दिन, जब
कृष्णा यमुना
नदी के किनारे
खेल रहा था
और उसकी गेंद
यमुना नदी में
गिर जानेसे उस गेंद
को प्राप्त करने
हेतु वह नदी
में गोता लगाता
है तब नदी
में कृष्ण की
टक्कर कालिया
सांप से होती
है और वह
हमला करता है.
कुछ समय के
बाद सर्प समझ
गया कि वह
एक साधारण बच्चा
नहीं है वह
साक्षात भगवान् कृष्ण है
ऐसा ज्ञात होने
के बाद कालिया
भगवान् से क्षमा
मांगकर वचन देता
है की वह
फिर कभी किसी
को परेशान नहीं
करेगा. भगवान् के आशीर्वाद
से कालिया वहाँ
से चला जाता
है उस दिन कृष्ण
ने कालिया नाग
पर जीत प्राप्त
करनेसे वह दिन
श्रावण शुक्ल पंचमी
का था, उस
दिन से नाग
पंचमी का त्यौहार
मनाया जाता है
ऐसा कहते सुना
है !
यह नाग पंचमी
का दिन सबको
मंगलमय हो !