All you need to know about Maha Shivratri
वैसे
तो शिवरात्रि वर्ष के हर
एक महीने में आती है
अर्थात साल में 12 शिवरात्रिया आती है परन्तु
इसमें सबसे महत्वपूर्ण सूर्यमान
पद्धति के अनुसार फाल्गुन
माह की कृष्ण चतुर्दशी
और चांद्रमान के अनुसार माघ
माह की कृष्ण चतुर्दशी
महा शिवरात्रि नाम से जानी
जाती है यह शिवरात्रि
भगवान् शिव को अधिक प्रिय
है.
भगवान
शिव जी भोले भक्तों
के भक्ति पर प्रसन्न होकर
भोलेनाथ बन गए. शिव
जी दुष्ट और बुरी शक्ति
के संहार करता है. शिवरात्रि
भगवान् शिव के भक्तो
के लिए एक अत्यंत
महत्वपूर्ण त्यौहार है. पुरे भारत
वर्ष में इसे मनाया
जाता है. पुराण के
अनुसार माघ मास के
कृष्ण चतुर्दशी का दिन शिवरात्रि
नाम से अंकित किया
गया है जो की
अंग्रेजी महीने के अनुसार फरवरी
माह के अंत में
या मार्च महीने के आरंभ में
आता है।
शिवरात्रि
के दिन पुरे भारत
वर्ष में और कई
अनेक देशो में जहाँ
-जहाँ शिव जी के
मंदिर है और शिव
जी के भक्त लोग
है वहां -वहां भगवान् शिव
की आराधना करते है, भजन
गाते है, पूजा करते
है, शिव को जल
से अभिषेक किया जाता है
भक्त लोग पुरे भक्ति
और श्रद्धा से अपनी प्रार्थना
समर्पित करते है. ऐसा
कहा जाता है की
जो कोई भी मनुष्य
शिवरात्रि के दिन व्रत
रखकर उपवास
रखता है और भगवान्
की आराधना करता है वह
सब पापोंसे छूट जाता है
और उसे मोक्ष की
प्राप्ति होती है.
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Shivlinga |
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम !
त्रिजन्म पाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम !!
जो कोई भी मनुष्य
भगवान् शिव जी पर
केवल एक बेल का
पत्ता चढ़ाता है, वह मनुष्य 3 जनम के किये
गए सभी पापोंसे छूट
जाता है. इस श्लोक
से यह ज्ञात होता
है की भगवान् शिव
को बेल का पत्ता
अत्यंत प्रिय है. जो कोई
भी निस्वार्थ भक्ति से शिव को
जल, फूल, बेल, या
फल चढ़ाता है वह मनुष्य
बिना मांगे ही सब कुछ
प्राप्त करता है और
उसपर भगवान् शिव जी की
विशेष कृपा बानी रहती
है.
महा शिवरात्रि का
महत्व
शिवरात्रि
और शिव जी से
जुड़े पुराणों में अनेक कहानिया
और मान्यताए प्रचलित है.
उनमें से कुछ प्रमुख
मान्यताएं
1. कुछ मान्यताओं के
अनुसार समुद्र मंथन से जो
विष निकला था और जगत
को उस हालाहल
से बचाने की लिए भगवान्
शिव जी ने उसे
पीकर अपने कंठ (गले)
में दबाकर रखा था और
पुरे विश्व को उस विष-बाधा से मुक्त
किया था. इसीलिए शिव
को नीलकंठ नाम से पुकारते
है. वह रात्र माघ
कृष्ण चतुर्दशी की थी इसीलिए
उसे महा
शिवरात्रि कहा जाता है और
तबसे शिव को प्रसन्न
करने के लिए शिवरात्रि
का व्रत रखकर और
महाशिवरात्रि का पर्व मनाने
की परंपरा की शुरुआत हुई.
2. पुराण के अनुसार इस
दिन ही भगवान् शिव
और पार्वती का विवाह हुआ
था. इस दिन के
रात्रि समय में भगवान्
शिव जी की बारात
बड़े धूम-धाम से,
बड़े जोश से, नाचते,
गाते, भजन-कीर्तन करते
हुए पार्वती के
घर पर्वत राजा के राज्य
में आयी थी इस
विवाह में आमंत्रित हुए
सभी भक्त लोग शिव
के कृपा के पात्र
हुए थे इसीलिए यह
रात्र महा शिवरात्रि नाम
मनाई जाती है. यह
दिन शिव-शक्ति या
पार्वती-परमेश्वर के शादी की
सालगिरह का दिन है.
3. हिन्दू धर्म शास्त्र के
अनुसार विश्व और ब्रम्हांड निर्माण
और विनाश की एक प्रक्रिया
है जो समय के
अनुसार चलते रहती है.
सृष्टि के निर्माण कर्ता
ब्रम्हा जी है उसी
तरह विनाश या संहार कर्ता
भगवान् रूद्र है अर्थात शिव
है. कहा जाता है
की जब शिव जी
की तीसरी आँख खुल जाती
है तब विनाश होता
है. जब शिव जी
क्रोधित होते है तब
तांडव नृत्य करते है और
उनकी तीसरी आँख खुल जाती
है. जब भगवान् शिव
ने तांडव नृत्य किया था वह
रात्र शिवरात्र थी शिव जी
का क्रोध शांत होने के
लिए भक्त लोग अनेक
प्रकार से प्रार्थना और
आराधना करते है. और
इसी दिन शिव जी
ने तांडव नृत्य करकर एक नए
नृत्य को परिचित किया
था इसलिए इस विशेष दिन
को महा शिवरात्रि कहा
जाता है.
4. शिकारी और हिरण कथा सबसे अधिक लोकप्रिय है. इस कथा में कैसे भगवान् शिव जी की कृपा उस शिकारी पर होती है यह सविस्तार से बतलाया गया है.इस कहानी में महा शिवरात्रि के महत्व के बारे और शिवरात्रि के व्रत के बारे में शिवपुराण में पूर्ण रूप से वर्णन किया गया है.
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Shiva Abhishek |
शिव जी के
कुछ
प्रिय
वस्तु
फूल-
धतूरा
पत्र
(पत्ता)- बेल
रंग-
सफेद
भोग-
दही चावल
पेय-
भांग और ठंडाई
जल-
गंगा (शिव जलधारा प्रिय है)
द्वादश
ज्योतिर्लिंग क्षेत्रो में और महा शिवरात्रि के दिन भगवान् शिव की विशेष पूजा होती
है जिसे देखने के लिए शिव जी का दर्शन पाने के लिए दूर-दूर से लोग आते है और शिव के
कृपा पात्र बनते है. शिव रात्रि के दिन संध्या
समय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक भगवान् शिव की विशेष पूजा होती है जिसे याम पूजा
कहते है अर्थात रात्रि के 4 प्रहर होते है हर 3 घंटे का एक प्रहर या याम होता है. हर
एक याम में 11 बार रूद्र का पाठ कर भगवान् शिव को जल से या दूध से अभिषेक किया जाता
है. यह एक विशेष पूजा है जो कोई भी यह पूजा करता है या इसमें भाग लेता है उसपर शिव
की विशेष कृपा बनी रहती है.
शिवजी
की आराधना के शास्त्र और वेद में अनेक मार्ग बताए गए है उनमे से रूद्र के मन्त्र से
शिव जी का अभिषेक, शिव पंचाक्षरी का जाप, शिवरात्रि
का व्रत इत्यादि..
भगवान
भोलेनाथ बहुत भोले है
जो कोई भी कुछ
भी मांगता है उसे दे
देते है इसीलिए उन्हें
भोलेनाथ कहा जाता है
एकबार तो वे रावण
के भक्ति से प्रसन्न होकर
उन्होंने रावण को आत्मलिंग
तक दे दिया था.
यह महा शिवरात्रि का
दिन हमारे सभी के जीवन
में एक मायने रखता
है. महा शिवरात्रि एक
ऐसा महान पर्व है
जो मनुष्य को अज्ञान से
ज्ञान की ओर, निर्गुण
से सगुण की ओर
और पाप कर्म से
छूटकर पुण्य कर्म करने की
प्रेरणा देता है. और
इस जनम, संसार-बंधन
से मुक्ति दिलाता है.
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