Thursday, May 19, 2016

Why do we use coconuts in Puja?

                       नारियल की विशेषता 


क्या आप जानते है की प्रार्थना के बाद  भोग (नैवेद्द) के रूप में नारियल का उपयोग मनुष्य की बलि होने से बचाने के लिए किया गया था
जानिए नारियल के बारे में हिन्दू रीती-रिवाज,और कुछ परम्परा ऐसे ही नहीं बने है. हर एक कर्म के पीछे एक सत्य , विशेषता और मानव का लाभ छुपा हुआ हैअनादि काल में यज्ञ- यागादि में मनुष्य-प्राणी की बलि दी जाती थी ऐसा सुना है हो ना हो इस प्रक्रिया को रोकने के लिए प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के रूप में नारियल की बलि देने की प्रथा का आरम्भ हुआ

नारियल की ही क्युँ?

यह काफी दिलचस्प बात है , लेकिन अगर आप नारियल को ध्यान- बारीकी से देखेंगे तो वो मानव के सिर जैसा दीखता है जबकि नारियल की चोटी (शिखा) मनुष्य के बाल का प्रतिनिधत्व करता है, कठीण अखरोट माने उसका कवच खोपडि का (दिमागप्रतिनिधित्व  करता है, नारियल के अंदर का पानी मनुषय के देह के रक्त का अथवा शरीर में स्थित जल का प्रतिनिधित्व करता है, और गिरी अर्थात अंदर के सफेद हिस्से को गिरी कहते है गिरी मानसिकता (मन) का प्रतिनिधित्व करता है, और कुछ अवधारणाएं यह कहती है की  नारियल  का औचित्य हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में महत्व का स्थान पाया है.


Coconuts, Nariyal
Coconut/Nariyal


नारियल मानव के अहंकार का प्रतीक 

सबसे आम नारियल के साथ जुडी अवधारणा यह है की यह एक व्यक्ति के अहंकार का प्रतिनिधित्व दर्शाता है, तब तक आप भगवान का दर्शन नहीं कर सकते जबतक आप का मन अहंकार से भरा हो, यही कारण है की नारियल का कवच हमारे अहंकार को सूचित करता है जब हम हमारे अहंकार को त्याग देते है तब हमें उस दिव्यता का दर्शन होता है इसलिए पूजा से पहिले अथवा किसी नयी शुरवात से पाहिले नारियल की बलि दी जाती है. मानो हमारे अहंभाव की जिससे हमें हमारे कर्म का फल मिले. नारियल ऐसा फल है जो की मनुष्य के सिर जैसा दीखता है. नारियल के अंदर का पानी इच्छा और वासना का प्रतिनिधित्व दर्शाता है, परम्पराओंका कहना ही की जबतक आप इच्छाओंसे छुटकारा पाने के लिए अहंकार को दिलो-दिमाग से निकाल देना पडेगा तभी आप निष्काम भाव से प्रार्थना कर सकते है.

नारियल एक निस्वार्थ तथा सबसे लाभदायी पेड़ 

नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष माना जाता है यह एक पेड़ है की सबकुछ देता है, पत्तियोके जोड़ने और बाडोको आच्छादित करने के लिए इस्तेमाल करते है नारियल गिरी एक स्वास्थ्य के लिए अच्छा भोजन है, नारियल का पानी प्रदूषण रहित पानी उत्कृष्ट है जो की Hydrating  गुण से भरपूर है, यहांतक की गम्भीर बीमारी के दौरान इसका सेवन किया जाता है इसका पानी एक प्राकृतिक एंटीबायटिक घाव और जल जाने पर लगाया जाता है. कर्नेल भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, आयुर्वेद, सजावट, नकाशी बर्तन, साबुन, oilइत्यादी.... 
चीजोंकी एक क़िस्म के लिए नारियल का इस्तेमाल किया जाता है. नारियल एक निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है और इसके हर एक हिस्सों का लाभ मानव जाती को हुआ है, हो रहा है नारियल के पेड़ को उगाने लिए अधिक पोषण और प्रयास की आवश्यकता नहीं है यह अपने दमपर सभी को आगे बढ़ने और कई माईने में मानव जाती में कार्य करते रहा है.

नारियल को क्युँ तोड़ा जाता है?

सिद्धांत यह कहता है की जब आप देखते है की नारियल के ऊपरी हिस्से  पर 3 निशान नजर आयेंगे, उसे तीन आंख कहते है जो की भगवान शिव का स्वरुप कहा जाता है , यही कारण है की लगभग सभी पूजा-पाठ में इसका प्रयोग किया जाता है. नारियल के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. नारियल को पूर्ण फल भी कहा जाता है. अक्सर आप देखे होंगे पूजा प्रारम्भ के पूर्व कलश की पूजा की जाती है जिस कलश पर नारियल रखा जाता है, नारियल के उन तीन आंखोंको ब्रम्हा, विष्णु और महेश का स्वरुप माना जाता है जो की सृष्टि के रचना-पालन-हारन करता है उनके बिना यह सृष्टि अपूर्ण है. पूजा की सफलता के लिए इन त्रिदेवोंको नारियल के रूप में पूजा जाता है.
Green Coconut, Nariyal Pani
Green Coconuts


प्रसाद के रूप में नारियल 

जब हम नारियल मंदिरोंमें तोड़ते है तो उसका भोग चढ़ाकर हमें उसका आधा हिस्सा प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जैसे की परंपरा के अनुसार नारियल का आधा हिस्सा मनुष्य के सिर से सम्बोधित किया गया है मानो की आप के अहंकार, वासना, क्रोध आदि गुणोंको भगवान के चरणोमे समर्पित किया, प्रतिफल के रूप में आप को अच्छा मन , बुद्धि , शांति  नारियल के  आधे हिस्से के रूप में दी जाती है. आप का मन पुन: पवित्र हो जाए उसे स्वीकार करके. यहाँ  सवाल यह उठता है की हम हर बार नारियल तोड़ते है वो क्युं ?
देखा गया है की मनुष्य की इच्छाओका अंत नहीं , हर क्षण  मनुष्य के गुणोमे परिवर्तन होता है वासना, लालसा, अहंकार  जागते रहते है, जीवन में आनंद प्राप्त करने हेतु मनुष्य की भागदौड़ लगी है हर वक्त उसे उस विधाता के सामने नतमस्तक होना पडेगा जबतक उसके मन में निस्वार्थ सेवा की भावना जाग जाए हर वक्त उसे उसके अहम को त्यागना पडेगा जब-जब वह भगवान के सामने खड़ा होगा. इसलिए हरबार नारियल को फोडके वो याद करेगा की मुझे अहंकार , वासना आदी को त्यागना है. और वह नारियल भी  उसे याद दिलाता रहेगा.

नारियल का उपयोग 

पूजा-पाठ में, New Vehicle की दृष्टी उतारने के लिए , नया व्यापार Business शुरुवात करनेसे पहले, घर की नजर निकालनेके लिए , किसी महान व्यक्ति के सम्मान के लिए , किसी साधू-सन्यासी के स्वागत के लिए ऐसे अनेक कार्यो में नारियल का उपयोग किया जाता है !