Thursday, July 07, 2016

27 Nakshtra Chapter 3

                    २७ नक्षत्र (भाग-3)


) मृगशीर्ष
नक्षत्रमृगशीर्षनक्षत्र देवता- चंद्र  , नक्षत्र स्वामीमंगळ  , नक्षत्र पूजनीय वृक्ष - काला कत्था , नक्षत्र ऐच्छिक वृक्ष- पीपल  , राशी व्याप्ती - वे, वो, चरण वृषभ राशी में , का, की चरण मिथुन राशी मेंनक्षत्र प्राणीसांप  , नक्षत्र तत्व- वायु  , नक्षत्र गण- देव , नक्षत्र स्वभाव- मृदु.
मृगशीर्ष नक्षत्र वाले मनुष्य के गुण:-  चतुर-चपल, उमंग से भरपूर, धनि, और सुख का भोग लेनेवाले !

Tuesday, July 05, 2016

27 Nakshatra Chapter 2

                     २७ नक्षत्र (भाग-२)

पने जन्म नक्षत्र दोष को या अपने जन्म कुंडली के अनुसार नक्षत्र ग्रह दोष निवारण के लिए निचे दिए गए नक्षत्र देवता या नक्षत्र के स्वामी की आराधना कर सकते है. ज्योतिष्य शास्त्र के अनुसार हर एक नक्षत्र से जुड़े अपने-अपने गुण-धर्म होते है जिसका उल्लेख बृहत जातक , पाराशरी , होरा इत्यादि ग्रन्थोमे किया गया है.  जैसे की उनके स्वभाव-गुण , नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय या वृत्ति और परिहार मन्त्र . हम अपने नक्षत्र से जुड़े व्यवसाय करके लाभ प्राप्त कर सकते है.

Saturday, July 02, 2016

27 Nakshatra's (Stars) & Their origin Chapter 1

ज्योतिष्य एक विशाल और जटिल शास्त्र है जिसे समझनेमें और पढनेमें सालो लग जायेंगे. ज्योतिष्य शास्त्र को वेद नारायण भगवान का अंग कहा जाता है जिसमे ज्योतिष्य शास्त्र को  वेद के "आँखे" कहा गया है. जैसे की मनुष्य के शरीर में आंखोंको उच्च दर्जा दिया गया है. मनुष्य के शरीर में कुछ हो ना हो पर आँखे होनी चाहिए ऐसा कहा जाता है. "मनुष्याणां नयनं प्रधानं" इस वचन के अनुसार आंखोंको अधिक महत्वपूर्ण माना गया ऐसा देखा जा सकता है. उसी तरह मनुष्य के जीवन में अगर भविष्य तथा शकुन-अपशकुन जाननेका ज्ञान हो तो उसका जीवन सुखमय हो जाएगा इस बात को मध्य नजर रखते हुए साक्षात भगवान नारायण द्वारा ज्योतिष शास्त्र की रचना की गयी. मनुष्य का जीवन नवग्रहों पर आधारित है ऐसा सिद्ध हो चुका है. जिसमे मनुष्य के जन्म नक्षत्र और जन्म राशि के अनुसार फल मिलता है तथा उसके जीवन में सुख-दुःख ,उतार-चढ़ाव आते है. आज हम उन नक्षत्रों तथा राशि के बारे में जाननेवाले है ! 

Friday, July 01, 2016

Mangal Sutra, a symbol of good luck

                                                        मंगलसूत्र

                                 क्या शादीशुदा स्त्री मंगलसूत्र पहनना जरूरी है ?


मंगल सूत्र हर एक शादीशुदा गृहीणिका सौभाग्य का प्रतीक होता है. जिस के बिना वह अधूरी है ऐसा कहा जाता है. आज भी हर एक गृहिणी अपने अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजा-पाठ , व्रत जैसे नियमों का पालन करते रही है हमारे पूर्वज, बढे-बुजुर्ग शादी-शुदा गृहिणी  अपने गले से मंगल सूत्र कभी अलग नहीं करती चाहे कुछ भी हो  जाए. मंगलसूत्र, माथे पर सिन्दूर, हाथ में कंगन, और  पाव में बिछुए यह सब सौभाग्य के प्रतीक है!

Thursday, June 30, 2016

Pragya vivardhan stotra

यह स्तोत्र स्वामी कार्तिकेय भगवान् पर रचाया गया है. कार्तिकेय भगवान् शिव-पार्वती के पुत्र है. यह स्तोत्र का वर्णन रुद्रयामल तंत्र नामक ग्रन्थ में किया गया है. इस स्तोत्र में कार्तिकेय भगवान् जी के 28 नामो का वर्णन किया Gaya है. यह स्तोत्र अति प्रभावशाली है. South India में कार्तिकेय "सुब्रम्हण्य" नाम से प्रसिद्ध है.

!! प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र !!

अस्य श्री प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र मन्त्रस्य सनत्कुमार ऋषि: स्वामी कार्तिकेयो देवता अनुष्टुप छन्द : मम सकल विद्या सिध्यर्थे , प्रज्ञा वृध्यर्थे प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पारायणे विनियोग: !!


Wednesday, June 29, 2016

Reincarnation and Karma (Punarjanam)

       पुनर्जन्म और कर्मविपाक

पिछले जनम में किया हुआ या अगले जनम  में क्या होगा  इसके बारे में कभी हमने अधिक सोचा नहीं। समस्याओंके समाधान के लिए पूजा-पाठ करते देखा है , कभी-कबार पिछले जनम का किया हुआ पाप इस जनम में भोग रहे है ऐसा कहते हुए भी सुना है, या ऐसा खुद कहा है. क्या वस्तुत: यह सब सत्य है? क्या अच्छा कर्म पाप को नष्ट करता भी है ? तो चलो हम उसे जाननेकी कोशिश करेंगे क्या कहते है हमारे शास्त्र और बुजुर्ग लोग !