बहुत बार बड़े-बुजुर्ग लोगों के वाणी
से 14 चौदह विद्या
और 64 चौसठ कलाएं
होती है ऐसे कहते सुना
है. परन्तु कभी
पुछा नहीं और नाही जानने
की कोशिश की.
तो चलो आज हम इस
लेख में उन 14 विद्या और 64 कला के बारे में जानेंगे. और उनमे से कौन सी
वह विद्या और
कला है जो हमें आती
है. इनमे से बहुत सारे
शब्द संस्कृत से
जुड़े है. जिसका
अर्थ हिंदी या
English
भाषा में जानना
मुश्किल है.
Thursday, February 07, 2019
Wednesday, October 19, 2016
भगवान की पूजा में क्यों इन 11 पत्तोंका उपयोग किया जाता है ?
Is there any Scientific, Spiritual or Ayurvedic reason behind this? Part-1
हिन्दू
धर्म के हर
एक पूजा में
विशेषत: गणेश चतुर्थी
के गणेश
पूजा में इन 11 पत्तोंका होता है
उपयोग जिससे भगवान्
गणेश होते है
प्रसन्न। भारतीय संस्कृति में
पूजा के दौरान
भगवान् पर फूल
या पत्ते चढानेकी
प्रथा है और
वह पूजा का
विशेष अंग माना
जाता है. बहुमूर्ति
पूजा होने से
अलग-अलग भगवान्
को अलग-अलग
किस्म के फूल
और पत्ते चढ़ाए
जाते है. उनमेसे
अधिकतर इन
पत्तोंका उपयोग किया जाता
है और तो
और इसका उपयोग
करनेके पीछे कुछ
रहस्य भी छुपे
हुए है.
Sunday, October 09, 2016
देवी के नौ अवतार तथा विजय दशमी दशहरा का महत्व
१. शैलपुत्री :- शैलपुत्री"
अर्थात हिमालय पर्वतराज की
पुत्री. शिव की
शक्ति या सती
कहलाती है. इस
अवतार में माँ
ने सफेद वस्त्र
पहने हुए हाथ
माला और कमंडलु
धरे हुए है. पर्वतराज
हिमालय की पुत्री
होने से यह
शैलपुत्री कही जाती
है.
२. ब्रम्ह्चारिणी :- यह
नाम ब्रम्हा से
प्राप्त हुआ ऐसा
कहा जाता है.
अपने भूल प्रायश्चित्त
करनेवाली शिव की
सती पार्वती का
यह दूसरा रूप
है. इसके आराधना
से तप, त्याग,
वैराग्य, सदाचार, और संयम
की अभिवृद्धि होती
है !
३. चंद्रघंटा :- यह
माता का तीसरा
स्वरुप है यह
अवतार सुंदरता और
धैर्यता को दर्शाता
है. यह रूप
शांतिदायक और श्रेयस्कर
कहलाता है. युद्ध
के लिए शस्त्रात्र
से अलंकृत दशभुजोसे
सुशोभित दिखाई देती है
!
Wednesday, October 05, 2016
नवरात्रि
का त्यौहार पूरे
भारत वर्ष में
मनाया जाता है
विशेषकर दुर्गा पूजा , काली
पूजा , चंडी पूजा
इन नामोसे अलग-अलग प्रान्तों
में और अलग-अलग प्रथा
के अनुसार आराधना
की जाती है
नवरात्रि का त्यौहार
सप्टेंबर माह के
अंत में या
अक्टूबर माह के
प्रारम्भ में शुरू
होता हिन्दू पंचांग
के अनुसार आश्विन
माह के शुक्ल
प्रतिपदा से शुरुवात
होती है. प्रतिपदा
से लेकर नवमीतक
और दशमी का
दिन विजय का
दिन कहा जाता
है जिसे विजयादशमी
दशहरा कहते है
क्यों की इस
दिन प्रभु श्रीराम
ने रावण का
वध किया था
और माँ दुर्गा
ने महिषासुर का
संहार किया था
!
Sunday, September 25, 2016
श्राद्ध के दौरान क्यों कौओ को खिलाया जाता है?
कौआ, गाय और यमुना नदी की कथा
राजा
दशरथ के मृत्यु
के समय प्रभु
श्रीराम, सीता और
लक्ष्मण वन में
थे इस कारणवश
श्रीराम को अपने
पिता दशरथ महाराज
का किसी प्रकार
का कार्य करने
को नहीं मिला।
रावण का वध
होने के बाद
श्रीराम ने राज्य
को संभाला. एकबार
सीता और प्रभु
श्रीराम वन में
विहार करते समय
आकश से एक
यक्ष तालाब में
गिरता है और
श्रीराम से कहने
लगता है की
राजा दशरथ जी
को मोक्ष नहीं
मिला क्योंकि उनका
क्रिया-कर्म ठीक
से नहीं हुआ.
यक्ष के वचन
सुनकर श्रीराम अपने
पिता दशरथ का
श्राद्ध करनेकी तैयारियां करनेकी
आज्ञा देते है.
Wednesday, September 21, 2016
भाद्रपद
माह के कृष्ण
प्रतिपदा से श्राद्ध
शुरू होते है यानी September के महीने में, उन 15 दिनों
को पितृपक्ष या
महालय भी कहा जाता
है, जो की
विशेषरूप से पितरोंके
लिए माने जाते
है. इन 15 दिनों में
मृत माता-पितरोंका
श्राद्ध, दान-धर्म,
तर्पण, पिण्डप्रदान किया जाता
है, कहा जाता
है ऐसा करनेसे
पितरोंको मुक्ति मिलती है
तथा उनका आशीर्वाद
बना रहता है.