Sunday, October 09, 2016

Navratri -2

     देवी के नौ अवतार तथा विजय दशमी दशहरा का महत्व 

. शैलपुत्री :-  शैलपुत्री" अर्थात हिमालय पर्वतराज की पुत्री. शिव की शक्ति या सती कहलाती है. इस अवतार में माँ ने सफेद वस्त्र पहने हुए हाथ माला और कमंडलु धरे हुए हैपर्वतराज हिमालय की पुत्री होने से यह शैलपुत्री कही जाती है.
. ब्रम्ह्चारिणी :-  यह नाम ब्रम्हा से प्राप्त हुआ ऐसा कहा जाता है. अपने भूल प्रायश्चित्त करनेवाली शिव की सती पार्वती का यह दूसरा रूप है. इसके आराधना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की अभिवृद्धि होती है !
. चंद्रघंटा :-  यह माता का तीसरा स्वरुप है यह अवतार सुंदरता और धैर्यता को दर्शाता है. यह रूप शांतिदायक और श्रेयस्कर कहलाता है. युद्ध के लिए शस्त्रात्र से अलंकृत दशभुजोसे सुशोभित दिखाई देती है !

Wednesday, October 05, 2016

Navaratri

वरात्रि का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है विशेषकर दुर्गा पूजा , काली पूजा , चंडी पूजा इन नामोसे अलग-अलग प्रान्तों में और अलग-अलग प्रथा के अनुसार आराधना की जाती है नवरात्रि का त्यौहार सप्टेंबर माह के अंत में या अक्टूबर माह के प्रारम्भ में शुरू होता हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल प्रतिपदा से शुरुवात होती है. प्रतिपदा से लेकर नवमीतक और दशमी का दिन विजय का दिन कहा जाता है जिसे विजयादशमी दशहरा कहते है क्यों की इस दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था और माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था !

Sunday, September 25, 2016

Pitru paksha-2 (Shraddha)

                   श्राद्ध के दौरान क्यों कौओ को खिलाया जाता है?      

कौआ, गाय और यमुना नदी की कथा
राजा दशरथ के मृत्यु के समय प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण वन में थे इस कारणवश श्रीराम को अपने पिता दशरथ महाराज का किसी प्रकार का कार्य करने को नहीं मिला। रावण का वध होने के बाद श्रीराम ने राज्य को संभाला. एकबार सीता और प्रभु श्रीराम वन में विहार करते समय आकश से एक यक्ष तालाब में गिरता है और श्रीराम से कहने लगता है की राजा दशरथ जी को मोक्ष नहीं मिला क्योंकि उनका क्रिया-कर्म ठीक से नहीं हुआ. यक्ष के वचन सुनकर श्रीराम अपने पिता दशरथ का श्राद्ध करनेकी तैयारियां करनेकी आज्ञा देते है.

Wednesday, September 21, 2016

Pitru paksha (Shraddha)

भाद्रपद माह के कृष्ण प्रतिपदा से श्राद्ध शुरू होते है यानी September के महीने में, उन 15 दिनों को पितृपक्ष या महालय भी  कहा जाता है, जो की विशेषरूप से पितरोंके लिए माने जाते है. इन 15 दिनों में मृत माता-पितरोंका श्राद्ध, दान-धर्म, तर्पण, पिण्डप्रदान किया जाता है, कहा जाता है ऐसा करनेसे पितरोंको मुक्ति मिलती है तथा उनका आशीर्वाद बना रहता है.


Monday, August 29, 2016

Why Do We Perform Havan ?

                  अग्नि की महत्ता तथा हवन (अग्निहोत्र) से लाभ 

मारे हिन्दू परंपरा में हर एक पूजा में हवन करनेकी प्रथा हजारो सालोंसे चलती रही है , कही पे शांति हवन, तो कही पे शुद्धि हवन और तो कही पे लोक कल्याण यज्ञ या हवन किया जाता है. हवन,  होम, यज्ञ, याग इन अलग-अलग नामोसे अग्नि भगवान् को जाना जाता है. विशेषकर नवरात्र, दीपावली, गृहपूजा और नवोग्रहों की पीड़ा दूर करनेके लिए वैसे उत्तर तथा दक्षिण भारत में  हर एक  पूजा के बाद हवन करते है.

Wednesday, August 17, 2016

Hanuman Ji & Saturday

                         क्यों हम शनिवार को हनुमान जी की पूजा करते है ?


सा देखा गया है की शनिवार आते ही भक्त लोग हनुमान के मंदिर को जाते है तेल , फूल, फल आदि चढ़ाके हनुमान चालीस पढ़ते है ,पूजा करते है और शक्तिनुसार परिक्रमा करते है. आज भी देखा गया है हर एक गाव के सीमापर एक हनुमान का मंदिर होता है कहते है हनुमान जी रक्षा करते है उस गाव की जिस गाव के सीमापार हनुमान जी का मंदिर होता है.