ज्योतिष्य एक विशाल और जटिल शास्त्र है जिसे समझनेमें और पढनेमें सालो लग जायेंगे. ज्योतिष्य शास्त्र को वेद नारायण भगवान का अंग कहा जाता है जिसमे ज्योतिष्य शास्त्र को वेद के "आँखे" कहा गया है. जैसे की मनुष्य के शरीर में आंखोंको उच्च दर्जा दिया गया है. मनुष्य के शरीर में कुछ हो ना हो पर आँखे होनी चाहिए ऐसा कहा जाता है. "मनुष्याणां नयनं प्रधानं" इस वचन के अनुसार आंखोंको अधिक महत्वपूर्ण माना गया ऐसा देखा जा सकता है. उसी तरह मनुष्य के जीवन में अगर भविष्य तथा शकुन-अपशकुन जाननेका ज्ञान हो तो उसका जीवन सुखमय हो जाएगा इस बात को मध्य नजर रखते हुए साक्षात भगवान नारायण द्वारा ज्योतिष शास्त्र की रचना की गयी. मनुष्य का जीवन नवग्रहों पर आधारित है ऐसा सिद्ध हो चुका है. जिसमे मनुष्य के जन्म नक्षत्र और जन्म राशि के अनुसार फल मिलता है तथा उसके जीवन में सुख-दुःख ,उतार-चढ़ाव आते है. आज हम उन नक्षत्रों तथा राशि के बारे में जाननेवाले है !
Saturday, July 02, 2016
Friday, July 01, 2016
मंगलसूत्र
क्या शादीशुदा स्त्री मंगलसूत्र पहनना जरूरी है ?
मंगल सूत्र हर एक शादीशुदा गृहीणिका सौभाग्य का प्रतीक होता है. जिस के बिना वह अधूरी है ऐसा कहा जाता है. आज भी हर एक गृहिणी अपने अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजा-पाठ , व्रत जैसे नियमों का पालन करते आ रही है हमारे पूर्वज, बढे-बुजुर्ग शादी-शुदा गृहिणी अपने गले से मंगल सूत्र कभी अलग नहीं करती चाहे कुछ भी हो जाए. मंगलसूत्र, माथे पर सिन्दूर, हाथ में कंगन, और पाव में बिछुए यह सब सौभाग्य के प्रतीक है!
Thursday, June 30, 2016
यह स्तोत्र स्वामी कार्तिकेय भगवान् पर रचाया गया है. कार्तिकेय भगवान् शिव-पार्वती के पुत्र है. यह स्तोत्र का वर्णन रुद्रयामल तंत्र नामक ग्रन्थ में किया गया है. इस स्तोत्र में कार्तिकेय भगवान् जी के 28 नामो का वर्णन किया Gaya है. यह स्तोत्र अति प्रभावशाली है. South India में कार्तिकेय "सुब्रम्हण्य" नाम से प्रसिद्ध है.
!! प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र !!
अस्य श्री प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र मन्त्रस्य सनत्कुमार ऋषि: स्वामी कार्तिकेयो देवता अनुष्टुप छन्द : मम सकल विद्या सिध्यर्थे , प्रज्ञा वृध्यर्थे प्रज्ञा विवर्धन स्तोत्र पारायणे विनियोग: !!
Wednesday, June 29, 2016
पुनर्जन्म और कर्मविपाक
पिछले जनम में किया हुआ या अगले जनम में क्या होगा इसके बारे में कभी हमने अधिक सोचा नहीं। समस्याओंके समाधान के लिए पूजा-पाठ करते देखा है , कभी-कबार पिछले जनम का किया हुआ पाप इस जनम में भोग रहे है ऐसा कहते हुए भी सुना है, या ऐसा खुद कहा है. क्या वस्तुत: यह सब सत्य है? क्या अच्छा कर्म पाप को नष्ट करता भी है ? तो चलो हम उसे जाननेकी कोशिश करेंगे क्या कहते है हमारे शास्त्र और बुजुर्ग लोग !
Monday, June 27, 2016
सुपारी का महत्व
हिन्दू पूजा में पान के साथ, बूढ़े-बुजुर्ग पान के साथ खाने में, औषधि के लिए , भगवान के प्रतिरूप में ऐसे अनेक कार्यो में सुपारी का इस्तेमाल होते देखा गया है. क्यों सुपारी का इस्तेमाल हिन्दू पूजा-पाठ में होता है ? तो चलो इसके पिछे का रहस्य और लाभ जान लेते है.
पुराण कथा के अनुसार
एक बार भगवान गणेश जी वेदव्यास जी को पूछते है " कलियुग में लोगोंको पता नहीं चलेगा महाभारत हुआ भी है या नहीं इसकी कोई निशानी मिलेगी मनुष्य को ? व्यास जी कहते है - धनुर्धर अर्जुन महाभारत के याद के रूप निशानी छोड़ेगा!
Friday, June 17, 2016
कलश का महत्व
क्यों कलश की पूजा की जाती है ? क्या कहते है शास्त्र तथा विज्ञान
कलश जब पूजा-पाठ, या गृहप्रवेश की बात आती है तब हम पहले कलश के बारे में सोचते है या कलश का जिक्र किया जाता है , शादी के रस्म में , मंदिर प्रतिष्ठापना के बारह वर्ष पूर्ण होनेपर जिसे कुम्भाभिषेक कहते है जिसे कलश को पूजा की जाती है उस कलश से मंदिर के कलश या शिखर को अभिषेक किया जाता है. यह पूजा विशेष तरह से होती है. शादी के बाद वधु पहलीबार वर के घर प्रवेश करते समय भी चावल या धान्य के कलश को लांघकर आती है जिसे वधुप्रवेश कहा जाता है.
Tuesday, June 14, 2016
दीपक
भगवान के सामने दीपक क्यों जलाया जाता है ?
जानिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओंको
दीपक या दिया सनातन वैदिक हिंदू धर्म में अपनी विशेष स्थान पाया है. दिया जलाना मतलब मन से, अश्रद्धा को निकालना और ज्ञान रुपी परमेश्वर को जगाना या भगवान को आव्हानीत करना. यह एक सूर्य की भांति तेज का प्रतीक (निरपेक्ष आग का सिद्धांत) है. दीपक जिसका अर्थ है "प्रकाश" अंधकार की ओर से प्रकाश का मार्ग दिखलानेका एक जरिया
'तमसो मा ज्योतिर्गमय"अज्ञान के अधंकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर लेके जाने की प्रार्थना में यह मंत्र पढ़ा जाता है. एक दीपक काफी है जो एक अंधकार को दूर करनेके लिए. तो चलो जान लेते है सनातन धर्म में क्या कहा गया है दीपक के बारे में !
'तमसो मा ज्योतिर्गमय"अज्ञान के अधंकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर लेके जाने की प्रार्थना में यह मंत्र पढ़ा जाता है. एक दीपक काफी है जो एक अंधकार को दूर करनेके लिए. तो चलो जान लेते है सनातन धर्म में क्या कहा गया है दीपक के बारे में !