नौ ग्रहों पर अनेक स्तोत्र
पुराणों में प्रचलित है
हर एक ग्रहो से
जुड़े विशेष स्तोत्र और प्रार्थनाएं है.
उन स्तोत्रों में से यह 1 ऐसा स्तोत्र है
जिसके पठन से मनुष्य
की पीड़ा, दुःख और ताप
कम हो जाता है.
यह प्रार्थना 9 ग्रहों पे अंकित है.
इस स्तोत्र में कुल 9 श्लोक है. हर एक
श्लोक में एक-एक
ग्रहों के
स्थान, महत्व, बल, शक्ति, प्रभाव
और उनके स्वभाव की
स्तुति की गयी है.
यह स्तोत्र बहुत ही फलदायी
है.
Wednesday, June 12, 2019
Saturday, May 25, 2019
पुराण प्रसिद्ध सबसे श्रेष्ठ चक्रवर्ती
भारत
भूमि पर अनेक राजा
महाराजाओं ने जन्म लिया
है. उन राजाओ में
कोई महाराजा बना तो कोई
चक्रवर्ती बना.
पुराण
के अनुसार कहा जाता है
की यह पृथ्वी 6
चक्रवर्ती राजाओ से परिपालित की
गयी है चक्रवर्तीओं की
गणना सामान्य राजाओ में नहीं की
जाती. चक्रवर्ती का मतलब जो
पुरे भूमण्डल को अपने अधीन
कर चूका हो,जिसकी
कीर्ति चारो ओर फैली
हुई हो वह King
चक्रवर्ती कहलाता है !
Tuesday, May 07, 2019
क्यों ? खरीदा जाता है सोना अक्षय तृतीया के दिन
वैशाख माह के
शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन ही अक्षय तृतीया का दिन होता है. English Calender के अनुसार May का महीना.
हिन्दू
धर्म में अक्षय तृतीया
को अधिक महत्व है.
अधिकतर लोग अक्षय तृतीया
के दिन सोने की
खरेदी करते है. कहा
जाता है की इस
दिन लिया गया Gold हर साल बढ़ते रहता
है अर्थात सोने की वृद्धि
होती रहती है.
हिन्दू
पंचांग के अनुसार साडे
तीन मुहूर्तो में से एक
है अक्षय तृतीया का मुहूर्त.
अपने
सामर्थ्य के अनुसार अक्षय
तृतीया के दिन कुछ
ना कुछ खरीदना चाहिए।अक्षय
तृतीया के दिन की
हर एक घटी हर
एक पल शुभ होता
है इस दिन किसी
विशेष शुभ चौघड़ि, राहु
काल, गुलिक काल या अमृत
काल को देखनेकी आवश्यकता
नहीं होती.
Tuesday, April 30, 2019
सप्त पुरी (भाग 2)
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित गया धर्मपीठ है यंहा
1 5. कांची
यह क्षेत्र दक्षिण भारत के तमिलनाडु
राज्य में स्थित है.
एक
मान्यता के अनुसार जब
सृष्टि कर्ता ब्रह्मा जी ने विष्णु
को सम्बोधित करते हुए यज्ञ
किया था उस यज्ञ
में सम्मिलित हुए सभी लोगो
के निवास के लिए देवोंके
शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा रचाया गया क्षेत्र ही
आज का कांचीपुरी है.
यह क्षेत्र South भारत के Tamilnadu
राज्य में है कांचीपुरम
या कांची नाम से प्रख्यात
है.
इस
स्थान पर माँ पार्वती
ने विष्णु के सम्मुख भक्ति-भाव से शिव
जी की पूजा की
थी. इस क्षेत्र में
शिव-शक्ति और विष्णु का
अधिष्ठान होने से यह
अत्यंत पुण्य क्षेत्र है.
Tuesday, April 23, 2019
सप्त पुरी (भाग 1)
मनुष्य को मुक्ति देनेवाले 7 पुण्य क्षेत्र
भारत
देश में अनेक पुण्य
क्षेत्र है जिसका वर्णन
पुराणोमे और वेदो में
देखने को मिलता है.
हर एक Kshetra की
महिमा अलग-अलग होती
है. हर एक क्षेत्र
के पीछे उस क्षेत्र
का माहात्म्य होता है. तीर्थक्षेत्र
दर्शन या तीर्थयात्रा करने
से मनुष्य को Vishesh पुण्य मिलता
है. विशेषकर पुराणोमे तीर्थ क्षेत्रों का माहात्म्य लिखा
गया है. परन्तु इन
सभी क्षेत्रो में 7 ऐसे
स्थान है जिसे मोक्षपुरी
कहा जाता है. विशेषकर
इन स्थानपर अनेक ऋषि-मुनि,
देवी-देवता और महान राजाओंने तपस्या,यज्ञ-यागादि कर्म
कर इन स्थानों को
पुण्यवान और पवित्र बनाया
है इसीलिए इसे पुण्यक्षेत्र कहा
जाता है.
Monday, April 15, 2019
इस स्तोत्र
को ऋषि याज्ञवल्क्य जी ने रचाया है. इस स्तोत्र में विद्या, Skills, स्मरण शक्ति, प्रज्ञा
शक्ति, बुद्धि और कवित्व प्राप्ति के लिए Education की देवी माँ सरस्वती की स्तुति की
गयी है. इस स्तोत्र में कुल 27 श्लोक है.
Friday, April 05, 2019
चांद्रमान युगादी
हिन्दू
पंचांग के अनुसार चांद्रमान
पद्धति के आधार पर
चैत्र माह में प्रतिपदा
के दिन नए साल
की शुरुवात होती है जिसे
की हम सब युगादी
या नूतन संवत्सर कहते
है. युग + आदि अर्थात युग
की शुरुवात.
Karnataka,
Andhra Pradesh, तेलंगाना में इसे उगादी
कहते है और महाराष्ट्र
में गुड़ी पाडवा.
इन सभी प्रान्त के
लोग बड़े हर्षोल्लास से
नया साल मनाते है !
Friday, March 29, 2019
चोटी
शिखा
या चोटी रखना यह
प्रथा प्राचीन काल से चलते
आ रही है. शिखा
रखने का अधिकार हर
एक मनुष्य को है इसमें
कोई विशेष समुदाय के वर्ग या
जाती का उल्लेख नहीं
किया गया है.
शास्त्र
के अनुसार शिखा रखने का
प्रमाण गाय के पाँव
के खुर या सहस्रार
चक्र जितना रहना चाहिए. Shikha का अत्यधिक महत्व है हिंदू संप्रदाय में.प्रान्त
स्थान-मान के अनुसार शिखा की आकृति अनेक रूपों में देखि गयी है.
Choti
से जुड़े उनके प्रसंग
पुराणों में पढ़ने को
मिलते है.
Saturday, March 23, 2019
१ से १४ मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष बदल सकता है आप का भाग्य !
रुद्राक्ष
मूलं तद्ब्रम्हा तन्नालम विष्णुरेव च !
तन्मुखं
रूद्र इत्याहुः ततबिंदु: सर्व देवता: !!
रुद्राक्ष
का मूल भाग ब्रम्हा,
नाल (छेद) भाग विष्णु
और मुख भाग रूद्र
को दर्शाता है. और रुद्राक्ष
पे विद्यमान सभी कांटे या
बिंदु सभी देवता स्वरुप
को दर्शाते है.
वैसे तो 1-21 मुखी तक Rudraksha देखे गए है.परन्तु
15 से 21 मुखी
तक रुद्राक्ष के बारे में
अधिक जानकारी ना होने से
इसके मिलने की गुंजाइश भी
नहीं की जा सकती.
Tuesday, March 19, 2019
आचमन
आचमन
का अर्थ है “पीना”
अर्थात एक-एक चमच 3 बार पानी पीना.
शायद आप ने देखा
होगा किसी पंडित को,
धार्मिक कर्म में किसी
व्यक्ति को, या किसी
ब्राम्हण को संध्या करते
समय या किसी को
पूजा करते समय 3 बार पानी पीकर 4थि बार हाथ धोया जाता है इसे ही आचमन
कहा कहा जाता है.
तन-मन और वाणी
शुद्धि के लिए 3 चमच पानी पिया जाता
है. यह परंपरा अनादि
काल से चलते आ
रही है यह ऋषि-मुनियों की देन है.
यह प्रथा कुछ ऐसे ही
नहीं बनी. इसके पीछे
बहुत गहरा अर्थ है
और आचमन करना आरोग्य की दृष्टी से
यह बहुत लाभदाई है.
Friday, March 15, 2019
तिरुपति बालाजी
क्या आप जानते है तिरुपति बालाजी को गोविंदा नाम से क्यों पुकारा जाता है?
तिरुपति
के बालाजी के दर्शन को
जाते समय हरेक भक्त
गोविंदा-गोविंदा कहकर नामोच्चार करता
है. Tirupati के बालाजी दक्षिण
भारतीय भक्तो के लिए वेंकटेश,
श्रीनिवास या वेंकटरमणा कहलाते
है.
बालाजी
को गोविंदा नाम आने के
पीछे एक अद्भुत और
आश्चर्यजनक कथा है. श्री विष्णु भगवान के 24 प्रिय नामों में से 4था नाम है गोविंदा.
Sunday, March 03, 2019
All you need to know about Maha Shivratri
वैसे
तो शिवरात्रि वर्ष के हर
एक महीने में आती है
अर्थात साल में 12 शिवरात्रिया आती है परन्तु
इसमें सबसे महत्वपूर्ण सूर्यमान
पद्धति के अनुसार फाल्गुन
माह की कृष्ण चतुर्दशी
और चांद्रमान के अनुसार माघ
माह की कृष्ण चतुर्दशी
महा शिवरात्रि नाम से जानी
जाती है यह शिवरात्रि
भगवान् शिव को अधिक प्रिय
है.
भगवान
शिव जी भोले भक्तों
के भक्ति पर प्रसन्न होकर
भोलेनाथ बन गए. शिव
जी दुष्ट और बुरी शक्ति
के संहार करता है. शिवरात्रि
भगवान् शिव के भक्तो
के लिए एक अत्यंत
महत्वपूर्ण त्यौहार है. पुरे भारत
वर्ष में इसे मनाया
जाता है. पुराण के
अनुसार माघ मास के
कृष्ण चतुर्दशी का दिन शिवरात्रि
नाम से अंकित किया
गया है जो की
अंग्रेजी महीने के अनुसार फरवरी
माह के अंत में
या मार्च महीने के आरंभ में
आता है।
Monday, February 25, 2019
स्वाहा
स्वाहा यह शब्द हमने
बहुत बार सुना है कभी मंदिर में या किसी पंडित जी को पूजा या हवन करते समय या
कभी-कबार अपने खुद के घर में हवन कराते
समय या किसी के पूजा में हिस्सा लिए जब. जब अग्नि में आहुति दी जाती है तब स्वाहा
कहकर हवन सामग्री या हविर्द्रव्य को अग्नि में समर्पित किया जाता है. स्वाहा ऐसा केवल हवन, यज्ञ, या नित्य अग्निहोत्र करते समय ही उपयोग किया
जाता है. इसके अलावा कुछ ऐसे बीज मन्त्र होते है जिनके अंत में स्वाहा शब्द का
प्रयोग केवल जाप करते समय ही किया जाता है.
Monday, February 18, 2019
इस Article में आप
रुद्राक्ष की महिमा
रुद्राक्ष की उत्पत्ति
रुद्राक्ष क्यों धारण
करना चाहिए और Rudraksh के कुछ Interesting facts
इन सभी विषयों की जानकारी
आप को यहां पर पढ़ने को मिलेगी.
रुद्राक्ष
“रूद्र” का मतलब
"रुत संसाराख्यं दुःखं
तत
द्रावयति
इति
रुद्रः"
अर्थात:- सांसारिक दुखों को
नाश करनेवाला 'जो
भगवान सभी भक्तो
के दुःख और संसार के
समस्याओं को नाश
करता है भला उस शिव
के नेत्र से
उत्पन्न हुआ वह रुद्राक्ष कितना
पवित्र, शक्तिशाली, और Powerful
होगा
इसकी कल्पना करना असाध्य
है.
Tuesday, February 12, 2019
Kya hai murthi Puja?
इस Article में
ईश्वर का स्वरुप
भगवान् ki पूजा
क्या है यह पूजा ?
पूजा का विधान
मूर्ति Puja
परा पूजा
मानस पूजा
पंचोपचार पूजा
16 उपचार पूजा और पूजा से लाभ
इन विषय के बारे में जानकारी पढ़ेंगे Read more....
भगवान को शायद ही किसी ने देखा होगा. 99% लोगों ने Bhagwan को नहीं देखा है. कहते है की भगवान् हरेक में बसते है. भगवान् को देखा नहीं जा सकता उसकी होने की अनुभूति की जा सकती है. कैसे होते है भगवान् ?
Monday, February 11, 2019
हिन्दू परंपरा पे आप सभी का स्वागत है!
Welcome to Hindu Parampara!
क्या है हिन्दू परंपरा के इस ब्लॉग में ? यह सवाल आप के मन में होगा।
यह हमारा परिचय वीडियो है.
आप इस ब्लॉग में हिन्दू धर्म, संप्रदाय, प्रथा, अध्यात्म, वेद-शास्त्र
पुराण, वैज्ञानिकता,आध्यात्मिकता,आयुर्वेद और कुछ रोचक तथ्य जिसे आप ने पहले कभी ना
पढ़ा होगा नाही शायद सुना होगा उन सभी विषयों के बारे में
आप यहापर आर्टिकल पढ़ सकते है.
हमारी कोशिश यही होगी की यह ज्ञान हरेक को पढ़ने को मिले।
Thursday, February 07, 2019
बहुत बार बड़े-बुजुर्ग लोगों के वाणी
से 14 चौदह विद्या
और 64 चौसठ कलाएं
होती है ऐसे कहते सुना
है. परन्तु कभी
पुछा नहीं और नाही जानने
की कोशिश की.
तो चलो आज हम इस
लेख में उन 14 विद्या और 64 कला के बारे में जानेंगे. और उनमे से कौन सी
वह विद्या और
कला है जो हमें आती
है. इनमे से बहुत सारे
शब्द संस्कृत से
जुड़े है. जिसका
अर्थ हिंदी या
English
भाषा में जानना
मुश्किल है.
Wednesday, October 19, 2016
भगवान की पूजा में क्यों इन 11 पत्तोंका उपयोग किया जाता है ?
Is there any Scientific, Spiritual or Ayurvedic reason behind this? Part-1
हिन्दू
धर्म के हर
एक पूजा में
विशेषत: गणेश चतुर्थी
के गणेश
पूजा में इन 11 पत्तोंका होता है
उपयोग जिससे भगवान्
गणेश होते है
प्रसन्न। भारतीय संस्कृति में
पूजा के दौरान
भगवान् पर फूल
या पत्ते चढानेकी
प्रथा है और
वह पूजा का
विशेष अंग माना
जाता है. बहुमूर्ति
पूजा होने से
अलग-अलग भगवान्
को अलग-अलग
किस्म के फूल
और पत्ते चढ़ाए
जाते है. उनमेसे
अधिकतर इन
पत्तोंका उपयोग किया जाता
है और तो
और इसका उपयोग
करनेके पीछे कुछ
रहस्य भी छुपे
हुए है.